स्टार्टअप्स और उनमें निवेश करने वालों को सरकार ने बड़ी राहत दी है. स्टार्टअप्स के शेयर्स पर होने वाली कमाई पर लगाने वाले एंजेल टैक्स (Angel Tax) को सरकार ने समाप्त कर दिया है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घोषणा की कि स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों पर लागू 'एंजेल टैक्स' को वापस लिया जाता है. उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के तहत रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स पर इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 56 2(बी) लागू नहीं होगी. 

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स्टार्टअप इकोसिस्टम में एजेंल टैक्स कारोबारियों के बीच एक प्रमुख मुद्दा था. हालांकि इसमें राहत देने के कुछ कदमों की घोषणा सरकार ने पहले भी की थी, लेकिन स्टार्टअप्स इससे संतुष्ट नहीं थे और टैक्स दायित्वों से पूरी तरह छूट की मांग कर रहे थे.

वित्त मंत्री ने कर दायित्वों को कम करने और कर अधिकारियों के द्वारा कर उत्पीड़न की चल रही चिंताओं को दूर करने के लिए कई अन्य उपायों की भी घोषणा की.

क्या है एंजेल टैक्स?

स्टार्टअप से जुड़े लोगों को अपने कारोबार के विस्तार के लिये पैसे की जरूरत होती है जिसके लिए वे पैसे देने वाली कंपनी या संस्था को शेयर जारी करते हैं. अक्सर ये शेयर उचित कीमत से कही ज्यादा कीमत पर जारी किए जाते हैं. शेयर की अतिरिक्त कीमत को उनकी आय (Income) माना जाता है तथा इस आय पर टैक्स लगाया जाता है, जिसे ‘एंजेल टैक्स’ (Angel Tax) कहा जाता है. स्टार्टअप को इस तरह मिले पैसे को ‘एंजेल फंड’ (Angel Fund) कहते हैं.

 

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एंजेल टैक्स की वसूली आयकर विभाग करता है. एंजेल टैक्स की शुरुआत 2012 में हुई थी. इसका उद्देश्य मनी लाउड्रिंग पर रोक लगाना था. लेकिन अब सरकार ने इसे खत्म कर दिया है.