Women Train Drivers Demands: महिला ट्रेन चालकों ने रेलवे बोर्ड से आग्रह किया है कि या तो उनकी 'दयनीय' कामकाजी परिस्थितियों में सुधार किया जाए या उन्हें अन्य विभागों में स्थानांतरित करने की अनुमति दी जाए. महिला ट्रेन चालकों (लोको पायलट) के एक समूह ने हाल में रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा को एक ज्ञापन दिया, जिसमें उनकी दुर्दशा का खुलासा किया गया और ‘‘एक बार कैडर परिवर्तन’’ विकल्प की मांग की गई. ये महिला ट्रेन चालक ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (एआईआरएफ) की सदस्य हैं. 

महिला ट्रेन चालकों की है ये मांग

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महिला ट्रेन चालकों ने इंजन में शौचालय सुविधाओं की कमी, मासिक धर्म के समय पैड नहीं बदल पाने, रात में किसी भी तकनीकी खराबी को दूर करने के लिए इंजन से बाहर निकलने का अनिवार्य प्रावधान और देर रात की ड्यूटी के लिए आवास से लाने-पहुंचाने की सुविधा नहीं होने जैसी समस्याओं का उल्लेख किया है. 

वर्तमान में, 1500 से अधिक महिलाएं देश भर के विभिन्न रेलवे जोन में लोको पायलट और सहायक लोको पायलट के रूप में काम कर रही हैं और वे विभिन्न रेलवे यूनियन और फेडरेशन के माध्यम से रेलवे बोर्ड के समक्ष अपने मुद्दे उठाती रही हैं. 

एक महिला ट्रेन चालक ने कहा कि रेलवे शौचालय सुविधाओं के साथ नए इंजन लेकर आ रहा है, लेकिन पुराने इंजन को नए इंजन से बदलने में काफी समय लगेगा.

रेलवे बोर्ड अध्यक्ष को बताई परेशानी

सिन्हा से मिलने वाले समूह का हिस्सा रहीं एक महिला ट्रेन चालक ने बताया कि 2018 में विभिन्न वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान रेलवे बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष को महिला ट्रेन चालकों को काम पर आने वाली चुनौतियों से अवगत कराया गया था. 

नौकरी बदलने की भी मांग

उन्होंने कहा कि चर्चा के विवरण में यह उल्लेख किया गया था कि इंजीनियरिंग, लोको पायलट और गार्ड श्रेणी में महिला कर्मचारियों को श्रेणी में बदलाव के लिए एक बार का विकल्प दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हालांकि, उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसलिए हम मांग करते हैं कि अगर आप दयनीय कार्य स्थितियों में सुधार नहीं कर सकते तो आप हमारी नौकरी बदल दें.

फेडरेशन ने किया सपोर्ट

ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने महिला चालकों की मांगों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि महिला ट्रेन चालकों की एक बहुत ही वाजिब दलील है कि रेलवे या तो सुविधाएं दे या नौकरी बदलने का अवसर दे. एआईआरएफ उनकी मांगों का पूरा समर्थन करता है और हम उनके मुद्दों को तब तक उठाते रहेंगे जब तक उनका समाधान नहीं हो जाता.

इंजन में नहीं मिलती है शौचालय की सुविधा

एक अन्य महिला ट्रेन चालक ने कहा कि वे काम पर केवल बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जब हम शुरू में इस पेशे में आए थे, तो हमें यह नहीं बताया गया था कि इंजन में शौचालय की सुविधा नहीं होती है या हमें मासिक धर्म के दौरान अपने सैनिटरी पैड बदलने के लिए कोई जगह नहीं मिलेगी. हमें इसका एहसास तब हुआ जब हमने काम करना शुरू किया.

रात के शिफ्ट में मिले ये सुविधा

महिला ट्रेन चालकों का कहना है कि इंजन में बदलाव के अलावा कई अन्य क्षेत्र हैं जहां रेलवे महिला चालकों के हित में सुविधाओं में सुधार कर सकता है. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, देर रात की शिफ्ट के लिए आवास से लाने पहुंचाने की सुविधा होनी चाहिए. रेलवे के नियमों के मुताबिक, ट्रेन परिचालन के दौरान अगर जंजीर खींचने की घटना होती है या कोई तकनीकी खराबी आती है तो चालक को नीचे उतरकर समस्या का समाधान करना होता है. 

महिला चालक ने कहा कि इस मानक में बदलाव किया जाना चाहिए. यदि आधी रात को किसी सुनसान इलाके में जंजीर खींचने की घटना होती है, तो एक महिला चालक नीचे उतरकर इसे कैसे ठीक कर सकती है? हाल में एक तकनीकी गड़बड़ी को दूर करने के लिए इंजन से बाहर आने पर घायल हुईं एक महिला चालक ने दावा किया कि रेलवे मानदंड अन्य क्षेत्रों में महिला कामगारों के लिए उपलब्ध कई अन्य वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं.

उन्होंने कहा कि एक तरफ, रेलवे वंदे भारत जैसी आधुनिक और नए जमाने की ट्रेन शुरू करने में गर्व महसूस कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ, कई जगहों पर महिलाओं के लिए अलग से शौचालय की सुविधा नहीं है.