रेलवे ने तैयार किया घर लौटे मजदूरों के लिए बड़ा प्लान, रोजी कमाने नहीं जाना पड़ेगा दूसरे देस
Coronavirus mahamari के कारण काम-धंधा छोड़कर अपने घरों को लौटे श्रमिकों (Migrant labor) के लिए राहत भरी खबर है. Indian railways ने ऐसे मजदूरों की रोजीरोटी का जुगाड़ करने की योजना बनाई है.
Coronavirus mahamari के कारण काम-धंधा छोड़कर अपने घरों को लौटे श्रमिकों (Migrant labor) के लिए राहत भरी खबर है. Indian railways ने ऐसे मजदूरों की रोजीरोटी का जुगाड़ करने की योजना बनाई है. वह लेवल क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों के लिए लिंक रोड को बनाने या मरम्मत में मनरेगा का इस्तेमाल बढ़ाएगा.
इससे कोरोना वायरस महामारी के कारण अपने घरों-गांवों को लौट चुके प्रवासी श्रमिकों के रोजगार देने में मदद मिलेगी. रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush goyal) ने एक उच्चस्तरीय बैठक में इस बारे में बात की है. उन्होंने रेलवे के विभिन्न जोन को सरकार के इस ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत काम का दायरा बढ़ाने और Labor को इस योजना के तहत रोजगार देने के तरीके ढूंढने को कहा है. सभी जोन को कहा गया है कि वे उन श्रमिकों की सूची तैयार करें जिन्हें इसके तहत विभिन्न तरह के काम में लगाया जा सकता है.
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने कई जिलों मसलन बिहार के कटिहार, आंध्र प्रदेश के वारंगल, राजस्थान के उदयपुर, तमिलनाडु के मदुरै, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और पश्चिम बंगाल के मालदा में इस योजना का इस्तेमाल किया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में उसने ज्यादातर प्राइवेट कुशल श्रमिकों की सेवाएं ली हैं.
रेलवे के प्रवक्ता डीजे नारायण के मुताबिक हम अपने गांवों को लौट चुके प्रवासी मजदूरों के मनरेगा के तहत रोजगार की संभावना तलाश रहे हैं. इससे सभी को फायदा होगा. आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मई में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MNREGA) के तहत रिकॉर्ड संख्या में 3.44 करोड़ परिवारों के 4.89 करोड़ लोगों ने काम मांगा है. अधिक से अधिक संख्या में प्रवासी श्रमिकों के अपने घर लौटने से मांग और आपूर्ति का अंतर और बढ़ता जा रहा है.
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अधिकारियों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर मजदूर अकुशल हैं. इसलिए उन्हें लेवल क्रॉसिंग के संपर्क मार्ग के निर्माण-मरम्मत, ट्रैक के पास ड्रेन, जलमार्गों की सफाई, रेलवे स्टेशनों के संपर्क मार्गों के निर्माण और रखरखाव, झाड़ियों आदि को हटाने और रेलवे की जमीन पर पेड़-पौधे लगाने जैसे कार्यों में लगाया जा सकता है.
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि रेलवे में मनरेगा के तहत अधिक कामकाज नहीं होता है. क्योंकि रेलवे का ज्यादा कार्य गांवों से दूर होता है. यह मुख्य रूप से शहरों में केंद्रित है. गांवों के आसपास रेलवे ट्रैक नहीं है. ऐसे पुल नहीं हैं जहां इन लोगों से काम लिया जा सके. अधिकारी ने कहा कि इनमें से ज्यादातर अकुशल श्रमिक हैं. सुरक्षा कारणों से रेलवे में इनके लिए ज्यादा काम नहीं है. हालांकि, अब इन्हें काम देने की कोशिश होगी.