Indian Railways ने बिहार के एक रूट को इलेक्ट्रिक कर दिया है. अब दानापुर मंडल के दिलदारनगर-तारीघाट रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों का परिचालन इलेक्ट्रिक इंजन से होगा. रेल संरक्षा आयुक्त, पूर्वी परिमंडल ए़एम़ चौधरी ने इसकी इजाजत दे दी है. इसके पहले 19 किलोमीटर लंबे इस रूट का इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा हो जाने के बाद 14 अगस्त को रेल संरक्षा आयुक्त ने इसकी टेस्टिंग की थी.

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पूर्व मध्य रेलवे के PRO राजेश कुमार के मुताबिक दिलदारनगर-तारीघाट के आगे गंगा नदी पर एक रेलपुल बन रहा है. इस रेलपुल के चालू होने के बाद दिलदारनगर और तारीघाट रेलखंड जो अब तक केवल तारीघाट तक है, भविष्य में गाजीपुर होते हुए मऊ से सीधे रेल लिंक से जुड़ जाएगा, जो बिहार से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के लिए वैकल्पिक रेल रूट होगा.

बता दें कि कोलकाता से गंगा नदी पर जहाजों के जरिए माल भेजने के लिए दिलदारनगर-तारीघाट रेल डिविजन का निर्माण ब्रिटिशकाल में 1880 में किया गया था. 

1990 में इस रेल डिविजन को छोटी लाइन से बड़ी लाइन में बदला गया और अब इलेक्ट्रिक होने के बाद इस रेल डिविजन पर इलेक्ट्रिक ट्रेन चलेगी, जिससे गाजीपुर और उसके आसपास के क्षेत्र के लोगों को दिलदारनगर और बिहार आने में काफी सहूलियत होगी.

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CLW में बनाया 100वां रेल इंजन WAG9HC(32904) 8 सितंबर 2020 को फैक्ट्री से बाहर निकला. भारतीय रेलवे के मुताबिक आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह बड़ी सफलता है. कोरोना महामारी के बीच बढ़ती मुश्किलों के बावजूद इसे बेहतरीन प्रोडक्शन माना जा रहा है.