रेलवे ने हादसों को रोकने के लिए देश भर में जीपीएस ट्रैकर तकनीक का प्रयोग करने की योजना बनाई है. जीपीएस ट्रैकर के जरिए जहां रेल हादसों को रोकने में मदद मिलेगी वहीं ट्रैकमैन कहां तक पटरियों की जांच कर चुका है इसका पता लगाया जा सकेगा. रेलवे के दक्षिण पूर्व रेलवे में इसे प्रयोग किया जा रहा है. इस तकनीक को पूरे देश में लागू करने की योजना पर काम हो रहा है.

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ऐसे काम करती है ये तकनीक

ट्रैक पर किसी भी तरह का खतरा होने पर ट्रैक मैन लाल रंग का बटन दबाएगा. बटन दबाए जाने से तत्काल कंट्रोल रूम में बैठे लोगों को खतरे की सूचना मिल जाएगी. मात्र 60 सेकेंड में इसकी सूचना एसएमएस से कंट्रोल रूम को स्टेशन मास्टर को व ट्रैक पर चलने वाली ट्रेन के ड्राइवर को पहुंचा दी जाती है. साथ ही जीपीएस डिवाइस को फोन करके भी ट्रेन के ड्राइवर को सूचना पहुंचा दी जाएगी.

70 फीसदी हादसों को रोके जाने की उम्मीद

जीपीएस सिस्टम के जरिए इस बात का पता भी चल जाता है कि ट्रैकमैन कहां तक जा कर ट्रैक की जांच कर चुका है. इसका पूरा रिकॉर्ड तैयार किया जाता है ताकि रेल यात्रियों की सुरक्षित यात्रा को सुनिश्चित किया जा सके. इस तकनीक के प्रयोग से लगभग 70 फीसदी हादसों को रोका जा सकता है.