अगर आप किसी ऑर्गेनाइज्‍ड सेक्‍टर में काम करते हैं तो आपको जॉब के दौरान मिलने वाली तमाम छुट्टियों के बारे में भी जानकारी होगी. जॉब के दौरान Casual Leave-CL, Medical Leave, Earned Leave, Maternity Leave वगैरह कई तरह की छुट्टियां मिलती हैं. इनमें से Earned Leave वो छुट्टी होती है, जो आप लगातार काम करने के बदले अर्जित करते हैं. सिक और कैजुअल लीव्स एक कैलेंडर ईयर में यूज़ न की जाएं तो लैप्स हो जाती हैं, लेकिन अर्न्ड लीव को कैरी फॉरवर्ड करा सकते हैं. इसके अलावा आप ईएल को एन्‍कैश भी करवा सकते हैं. आइए आपको बताते हैं लीव एन्‍कैशमेंट से जुड़ी जरूरी बातें.

इस फॉर्मूले के तहत किया जाता है लीव एन्‍कैशमेंट

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लीव एन्‍कैशमेंट नौकरी के दौरान या नौकरी छोड़ने पर किया जाएगा, कितनी छुट्टियों को कैश किया जा सकता है? ये सब कुछ कंपनी की पॉलिसी के हिसाब से‍ तय होता है. आमतौर पर लीव एन्‍कैशमेंट आपकी Basic Salary के हिसाब से किया जाता है. आमतौर पर इसके लिए एक फॉर्मूला इस्‍तेमाल किया जाता है. ये फॉर्मूला है- Basic Salary + Dearness Allowance) / 30] * Number of EL or Earned Leaves. लेकिन कुछ कंपनियों में एन्‍कैशमेंट का फॉर्मूला अलग भी हो सकता है. ध्‍यान रहे कि टर्मिनेशन यानी जॉब से निकाले जाने की स्थिति में कर्मचारी अपनी छुट्टियां कैश नहीं करा सकता. 

एन्‍कैशमेंट पर टैक्‍स के नियम

1- अगर लीव एन्‍कैशमेंट पर टैक्‍स के नियमों की बात करें तो सरकारी या गैर-सरकारी कर्मचारी अगर नौकरी के दौरान लीव एन्‍कैशमेंट करवाते हैं, तो वो राशि उनके वेतन का हिस्‍सा मानी जाती है और कर योग्‍य हो जाती है. हालांकि इसमें इनकम टैक्‍स की धारा 89 के तहत राहत ली जा सकती है.

2- वहीं किसी कर्मचारी के गुजर जाने पर उसके कानूनी उत्तराधिकारी को जो लीव एन्कैशमेंट का पैसा मिलता है, उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है.

3- अगर आप केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी हैं और रिटायरमेंट के समय लीव एन्‍कैश करवाते हैं तो 10(10AA)(i) के तहत आपको छुट्टियों को कैश कराने पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. 

4- वहीं अगर प्राइवेट नौकरी करने वाले कर्मचारियों को नौकरी छोड़ते समय या रिटायरमेंट के समय कुछ शर्तों के साथ तीन लाख तक की रकम पर टैक्स छूट मिलती है.

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