What is Mutual Fund Negative Compounding: म्‍यूचुअल फंड में निवेश के बारे में जब भी हम बात करते हैं, हमेशा यह कहा जाता है कि लॉन्‍ग टर्म का नजरिया रखना चाहिए. लंबी अवधि तक अगर म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम (Mutual Fund Scheme) में निवेश बनाए रखते हैं, तो कम्‍पाउंडिंग का जबरदस्‍त फायदा होता है. लेकिन, इससे उलट भी एक अहम बात है. वह है निगेटिव कम्‍पाउंडिंग की. एक्‍सपर्ट मानते हैं कि अगर निवेशक अपने पोर्टफोलियो को लेकर अलर्ट है, तो वह निगेटिव कम्‍पाउंडिंग से बच सकता है. समझते हैं, निगेटिव कम्‍पाउंडिंग होती क्‍या है और इससे कैसे बचा जा सकता है. 

निगेटिव कम्‍पाउंडिंग समझें

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बीपीएन फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है कि वेल्‍थ क्रिएशन में हमेशा कम्‍पाउंडिंग की पावर काम आती है. लेकिन, समय-समय पर निवेशकों को निगेटिव कम्‍पाउंडिंग से बचने के भी उपाय करने चाहिए. इसे एक अदाहरण से समझिए, मान लीजिए आपके पोर्टफोलियो में दो स्‍कीम हैं. एक का सालाना रिटर्न 30 फीसदी रहा और दूसरी स्‍कीम ने इसी अवधि में 15 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया. इसका मतलब कि आपका नेट रिटर्न करीब 7 फीसदी रहा. इसका मतलब कि आपको एक स्‍कीम से कम्‍पाउंडिंग का जिस तरह जबरदस्‍त फायदा हो रहा है, दूसरी स्‍कीम ने उसे खत्‍म कर दिया.

निगेटिव कम्‍पाउंडिंग से कैसे बचें

निगम का कहना है, अक्‍सर यह देखा जाता है कि निवेशक अच्‍छा परफॉर्म करने वाली स्‍कीम में प्रॉफिट बुक करता है. जिन स्‍कीम का रिटर्न लगातार निगेटिव या कम बना हुआ है, उसमें वह इस उम्‍मीद में बना रहता है कि आगे तेजी आएगी. जबकि, इसके उलट करना चाहिए. हमेशा ऐसी स्‍कीम से बाहर निकलिये जो आपके पोर्टफोलियो की परफॉर्मेंस को कमजोर कर रही हैं. 

निगम का कहना है कि निगेटिव कम्‍पाउंडिंग से बचने के लिए निवेशक के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि उसे अपने पोर्टफोलियो की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए. ऐसी स्‍कीम से दूरी बनाइए, जिसका प्रदर्शन लगातार अच्‍छा नहीं है. हमेशा किसी की कहीसुनी बातों के आधार पर फंड न चुनें. जिस प्रोडक्‍ट के बारे में समझ न हो, उसे दूरी बना लें.

Zee Business Hindi Live यहां देखें 

निवेश में एक्‍सपेरिमेंटल होने से बचें 

निगम का कहना है कि अकसर निवेश को लेकर एक्‍सपेरिमेंट करना भारी पड़ जाता है. एक्‍सपेरिमेंट करने के चक्‍कर में आमतौर पर निवेशकों का पैसा डूब जाता है. निवेश में अगर आपको प्रोडक्‍ट की समझ है, तो ठीक है वर्ना एडवाइजर से परामर्श जरूर करनी चाहिए. एक्‍सपर्ट आपको आपके रिस्‍क प्रोफाइल, उम्र, गोल और अमाउंट के आधार पर बेहतर प्रोडक्‍ट चुनने में मदद करता है.