जीवन में खर्च हमेशा लगा रहता है. लेकिन इन्हीं खर्चों के बीच जीवन में एक बेहद खास जिम्मेदारी है बच्चों की पढ़ाई-लिखाई. यानी पढ़ाई-लिखाई का खर्च. खासकर भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह एक तरह से सबसे बड़ा खर्च है. ऐसे में अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए योजना बनाने के लिए कभी भी न सोचें कि अभी तो काफी वक्त है. हो सकता है कि आपका बच्चा उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहेगा या फिर भारत के किसी बड़े शिक्षा संस्थान में दाखिला लेना चाहेगा. उसकी पसंद चाहे जो भी हो, आपको शिक्षा के खर्च का बंदोबस्त हमेशा तैयार रखना होगा. 

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इस स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती उच्च शिक्षा के खर्च के रूप में पेश आ सकती है, जो कि आमतौर पर पोस्ट ग्रेजुएट या मास्टर्स की पढ़ाई के लिए होगी. भले ही कई माता-पिता जानते होंगे कि बच्चे की शिक्षा के लिए बड़ी राशि जमा करनी पड़ेगी, लेकिन अधिकांश अभिभावकों के लिए इस शिक्षा खर्च का अनुमान लगाना मुश्किल होता है. 

15 साल बाद इतना होगा खर्च

पढ़ाई का खर्च लगातार बढ़ रहा है. इसे एक उदाहरण के जरिये समझते हैं. मान लें कि आपका बच्चा आज से 15 साल बाद आईआईएम जैसे एक प्रमुख शिक्षा संस्थान से मैनेजमैंट में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम में एडमिशन लेना चाहेगा, तो आपको उस वक्त 93 लाख रुपये खर्च करने के लिए तैयार रहना होगा. इस कोर्स के लिए मौजूदा खर्च 23 लाख रुपये है. अगर आपका बच्चा इस कोर्स के लिए विदेश जाना चाहे, तो आपको इस खर्च की तैयारी भी करनी पड़ेगी. अगर आपका बच्चा उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाना चाहता है तो वहां की शैक्षणिक महंगाई दर (लगभग 5 प्रतिशत) और अमेरिकी डॉलर और भारतीय रुपये के बीच विदेशी मुद्रा एक्सचेंज दर को भी अपनी योजना में शामिल करें. 

इसमें है समझदारी

आप बच्चे के जन्म के 60 से 90 दिनों के अंदर ही निवेश शुरू करें, ताकि आसानी से एक बड़ी राशि इकट्ठा हो सके. देर करने से जीवन में आगे चलकर यह राशि जुटाना संभव नहीं होगा. जानकारों के अनुसार, निवेश में होने वाले चक्रवृद्धि प्रभाव लंबी अवधि तक निवेश करने से मिलता है, जिससे आपका निवेश कई गुना बढ़ता है. 

किसमें करें निवेश

आप यूनिट लिंक्ड चाइल्ड प्लान में निवेश से शुरूआत कर सकते हैं और मैच्योरिटी से पहले पॉलिसी का जोखिम घटाने के लिए उसे सुरक्षित फंड्स में शिफ्ट कर दें. यूलिप आधारित चाइल्ड प्लान का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बच्चे के अभिभावक की अचानक मृत्यु होने पर इनके साथ प्रीमियम वेवर राइडर होता है और इसके बाद के सभी प्रीमियम या तो माफ कर दिए जाते हैं या फिर बीमा कंपनी खुद इसका भुगतान करती है. अन्य चाइल्ड प्लान्स की तरह यह पॉलिसी बंद नहीं होती बल्कि पहले की तरह जारी रहती है. 

बीमा कंपनी पॉलिसी अवधि तक अभिभावक की ओर से भविष्य के सभी प्रीमियम चुकाती है. इसके साथ आपका निवेश बढ़ता रहता है और पॉलिसी की मैच्योरिटी पर आपके बच्चे की जरूरत के लिए यह राशि कम नहीं पड़ती है. यही एक प्रमुख कारण है जो यूलिप आधारित चाइल्ड प्लान्स को बाजार में सबसे आकर्षक निवेश प्रोडक्ट बनाता है. एक अभिभावक होने के नाते आपके लिए अच्छी तरह से निवेश रणनीति बनाना बेहद जरूरी है और जरूरत के अनुसार छोटी, मध्यम और लंबी-अवधि के फंड्स चुनना चाहिए. 

(इनपुट एजेंसी से)