Home Loan EMI Calculation: बेकाबू महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर कर्ज महंगा किया है. रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने MPC मीटिंग के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा किया गया है. रेपो रेट बढ़कर अब 4.90 फीसदी हो गया. इससे पहले, 4 मई को रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी का इजाफा किया था. रेपो रेट बढ़ने से होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) की ईएमआई (EMI) बढ़ना तय माना जा रहा है. आइए समझते हैं, अगर अपने 20 साल के लिए 30 लाख रुपये का लोन लिया है, तो अब आपकी EMI कितनी बढ़ जाएगी.

मौजूदा EMI 

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लोन अमाउंट: 30 लाख रुपये 

लोन टेन्‍योर: 20 साल 

ब्‍याज दर: 7.35% सालाना  

EMI: 23,893 रुपये 

कुल टेन्‍योर में ब्‍याज: 2,734,412 रुपये 

कुल पेमेंट: 5,734,412 रुपये 

रेपो रेट 0.50% बढ़ने के बाद संभावित EMI

लोन अमाउंट: 30 लाख रुपये 

लोन टेन्‍योर: 20 साल 

ब्‍याज दर: 7.85% सालाना  (0.50% बढ़ने के बाद संभावित ब्‍याज) 

EMI: 24,814 रुपये 

कुल टेन्‍योर में ब्‍याज: 2,955,328 रुपये 

कुल पेमेंट: 5,955,328 रुपये 

(नोट: यह कैलकुलेशन SBI होम लोन EMI कैलकुलेटर पर आधारित है.) 

 

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एक्‍सटर्नल बेंचमार्क से लिंक्‍ड है नए होम लोन

रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक, अब बैंकों के होम लोन मार्जिनल कॉस्‍ट लेडिंग रेट (MCLR) और रेपो लिंक्‍ड लेडिंग रेट (RLLR) से लिंक्ड होते हैं. 2019 में आरबीआई ने सभी बैंकों को कहा था कि वे नए होम लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करें, क्योंकि बैंक रिजर्व बैंक के रेपो रेट घटाने का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे थे. बता दें, कोरोना महामारी के दौरान रिजर्व बैंक ने डिमांड और ग्रोथ को बनाए रखने के लिए ब्‍याज दरों में 115 बेसिस प्‍वाइंट (मार्च 2020 में 0.75 फीसदी और मई 2020 में 0.40 फीसदी) की बड़ी कटौती की थी.

इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने बैंकों को सभी प्रकार के रिटेल लोन और पर्सनल लोन को भी किसी एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करने के निर्देश दिए गए थे. इसके लिए बैंकों को आरबीआई रेपो रेट, 3 या 6 महीने के सरकारी ट्रेजरी बिल के रेट या फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) की ओर से पब्लिश किसी भी अन्य बेंचमार्क मार्केट इंटरेस्ट रेट का ऑप्‍शन दिया गया था. पुराने लेंडर्स के पास लोन को बेंचमार्क लिंक्ड रेट में ट्रांसफर कराने या पुरानी व्यवस्था में बने रहने का ऑप्‍शन है.