पीपीएफ vs एनपीएस: नेशनल पेंशन सिस्टम या NPS एक स्वैच्छिक पेंशन कंट्रीब्यूशन सिस्टम है, जिसे पेंशन फंड रेगुलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) अपनी निगरानी में चलाता है. एनपीएस निवेश टूल संसद में पास कानून के जरिये बनाया गया है. हालांकि, एनपीएस में निवेश करते समय यह पाया गया है कि लोग सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और एनपीएस के बीच के अंतर को लेकर कन्फ्यूजन में है. क्योंकि दोनों रिटायरमेंट के लिए पैसे जमा करने के लिए है. टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट के मुताबिक, रिटायरमेंट कॉर्पस को तैयार करने के लिए दोनों अच्छे निवेश टूल हैं, लेकिन अगर किसी को ज्यादा रिस्क लेने की चाहत है और वह ज्यादा कमाई करना चाहता है, तो एनपीएस पीपीएफ से बेहतर है.

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पीपीएफ vs एनपीएस को लेकर भ्रम

सेबी में रजिस्टर्ड टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट, मणिकरण सिंघल ने कहा कि पीपीएफ और एनपीएस दोनों स्वैच्छिक योगदान के ऑप्शन हैं. जब पीपीएफ या एनपीएस को चुनने की बात आती है, तो लोग भ्रमित हो जाते हैं, कि किसमें ज्यादा टैक्स की बचत होगी. आम तौर पर लोग पीपीएफ में इनकम टैक्स के सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये की लिमिट खत्म होने के बाद एनपीएस में निवेश करते हैं. 

एनपीएस को ऐसे समझ सकते हैं

मणिकरण ने कहा कि एनपीएस में आठ फंड मैनेजर हैं, जहां से 60 प्रतिशत तक इक्विटी ऑप्शन चुन सकते हैं. रिटायरमेंट के समय, कोई भी मैच्योरिटी अमाउंट का 60 प्रतिशत निकाल सकता है, जो टैक्स फ्री है. बाकी 40 प्रतिशत निवेशक के पेंशन फंडिंग के लिए एनपीएस खाते में रहेगा और यह टैक्स योग्य होगा.

मणिकरण ने यह भी कहा कि एनपीएस निवेश के दो ऑप्शन हैं: एक्टिव मोड और ऑटो मोड. एक्टिव मोड में, कोई व्यक्ति सालाना रिटर्न का मूल्यांकन कर सकता है और इक्विटी से लोन और लोन से इक्विटी के ऑप्शन में बदल सकता है. हालांकि ऑटो मोड में, 8 फंड मैनेजर होंगे जो किसी के निवेश को संभालेंगे और डेट से इक्विटी और वाइस-वर्सा के ऑप्शन को अपनी समझदारी से बदलेंगे. उन्होंने कहा कि एनपीएस में, किसी को सेक्शन 80 सीसीडी के तहत 50,000 रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स छूट मिल सकती है.

पीपीएफ vs इक्विटी रिटर्न की तुलना

पीपीएफ की एनपीएस से तुलना करते हुए ट्रांसेंड कंसल्टेंट्स के मैनेजर (वेल्थ मैनेजमेंट) कार्तिक झावेरी ने कहा कि एनपीएस अकाउंट में इक्विटी एक्सपोज़र के कारण, अगर कोई निवेशक इक्विटी और लोन ऑप्शन में से 50:50 ऑप्शन चुनता है तो लंबे समय में लोन ऑप्शन में पीपीएफ की तरह करीब 8 प्रतिशत रिटर्न मिलेगा, जबकि इक्विटी एक्सपोजर लंबे समय में कम से कम 12 प्रतिशत का रिटर्न देगा. 

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मनी कैलकुलेटर

कैलकुलेशन के मुताबिक, इसका मतलब है, यदि कोई व्यक्ति एनपीएस में 100 रुपये और पीपीएफ में 100 रुपये का निवेश करता है, तो उसे पीपीएफ में 7.1 प्रतिशत ब्याज दर रिटर्न मिलेगा जबकि एनपीएस में उसका रिटर्न 10 (6 + 4 = 10) होगा, जो पीपीएफ से 2.9 प्रतिशत ज्यादा है. इसलिए, यदि किसी निवेशक को हाई रिस्क लेने चाहत है तो एक एनपीएस अकाउंट रिटायरमेंट के समय पीपीएफ की मुकाबले करीब 2.9 प्रतिशत ज्यादा रिटर्न देगा.