सैलरीड प्रोफेशनल्स के लिए अभी बहुत जरूरी वक्त है अपनी सैलरी पर टैक्स कैलकुलेट करना और टाइम से इनकम टैक्स रिटर्न (income tax return) फाइल करना. अब जो सैलरी पर टैक्स होगा, वो तो होगा ही, लेकिन जब आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भर रहे होंगे तो आपको दूसरे सोर्स से आई हुई इनकम को भी दिखाना होगा, और आपकी दूसरी आय टैक्सेबल भी हो सकती है. ऐसे में इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि आपके पास किसी भी रास्ते से आई आय पर क्या आपको टैक्स देना है, और कौन सी आय टैक्स के दायरे में आती है.

PF Withdrawal पर देते हैं टैक्स?

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अब जैसे EPFO की Employee Provident Fund की ही बात कर लेते हैं. सैलरीड इंप्लॉई को अपनी सैलरी में से पीएफ के पैसे जमा करने होते हैं, और इसमें इंप्लॉई के कॉन्ट्रिब्यूशन के साथ इस सरकारी स्कीम में आपके पैसे निवेश होते रहते हैं. आप मैच्योरिटी के बाद इसमें पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन आपके पास यह छूट होती है कि आप पहले भी अपने पीएफ अकाउंट से पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि EPF Withdrawal पर आपको टैक्स देना होता है या नहीं. 

कब EPF Withdrawal पर देना होता है टैक्स?

1. 5 साल से पहले निकाल लिए पैसे 

अगर आप पीएफ अकाउंट में कॉन्ट्रिब्यूशन के पांच साल पूरे होने के पहले इससे पैसे निकालते हो, तो आपको इसपर TDS देना होता है. इसके लिए आपका सर्विस में लगातार 5 साल तक होना जरूरी है. इसमें नए-पुराने दोनों इंप्लॉयर के पास आपके टेन्योर को लेकर काउंट किया जाता है. अगर आप पांच साल या इससे ज्यादा वक्त पूरा होने के बाद अपना ईपीएफ बैलेंस पुराने इंप्लॉयर से नए इंप्लॉयर के पास ट्रांसफर करते हैं, तो आपके फंड पर टीडीएस नहीं कटता है.

2. इन पांच सालों में अस्थायी रही है नौकरी

अगर आप पांच सालों के अंदर कहीं कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते रहे हैं, तो आपका पीएफ जमा नहीं होगा, आपका इंप्लॉयर को आपके पीएफ में कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं देना होता है. लेकिन मान लें कि कुछ वक्त बाद आप नौकरी में परमानेंट हो जाते हैं और आपका पीएफ कटना शुरू हो जाता है. आप इस नौकरी में 5 साल पूरे करने के बाद इसे छोड़ देते हैं. और अब आपको अपना ईपीएफ बैलेंस कहीं और ट्रांसफर करना हो तो इसपर टैक्स लगेगा क्योंकि, आपने जो पांच साल कंप्लीट किए हैं, उनमें से कुछ हिस्सा आपने टेंपरेरी पोजीशन पर बिताई है.

3. आपके फंड को मान्यता नहीं मिली है

ऐसे प्रोविडेंट फंड को जिसे कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स से अप्रूवल नहीं मिला हो, उसे टैक्स छूट के लिए अमान्य माना जाता है. हो सकता है कि इसे प्रॉविडेंट फंड या किसी दूसरी संस्था से मंजूरी मिली हो, लेकिन आपको 5 साल के बाद विदड्रॉल पर छूट पाने के लिए इनकम टैक्स कमिश्नर से अप्रूवल जरूरी होता है. अगर आप URPF के सदस्य हैं तो आपके विदड्रॉल पर टैक्स लगता है, चाहे आपने पांच साल पूरे किए हों या नहीं. 

ऐसे समझिए-

1. सर्विस में लगातार 5 साल पूरे करने से पहले 50,000 रुपये से कम निकालें तो

- टीडीएस नहीं कटेगा, लेकिन अगर व्यक्ति टैक्सेबल ब्रेकेट में आता है तो उसे ईपीएफ विदड्रॉल अपने रिटर्न ऑफ इनकम में दिखाना होगा.

2. सर्विस में लगातार 5 साल  पूरे करने से पहले 50,000 रुपये से ज्यादा निकालें तो

पैन देने पर 10% TDS कटेगा. फॉर्म 15G/15H सबमिट करने पर वो भी नहीं कटेगा.

3. पांच साल पूरे करने के बाद ईपीएफ से विदड्रॉल करें तो 

- टीडीएस नहीं कटेगा. उसे इस विदड्रॉल को रिटर्न ऑफ इनकम में भी नहीं दिखाना होगा.

4. जॉब चेंज करने पर एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पीएफ का पैसा ट्रांसफर करना है तो

- टीडीएस नहीं कटेगा. इसे रिटर्न ऑफ इनकम में नहीं दिखाना होगा, क्योंकि ये टैक्सेबल नहीं है. 

5.  सर्विस में पांच साल पूरे करने से पहले आपको किसी वजह से नौकरी छोड़नी पड़ती है/पैसे निकालने की वजह आपके बस के बाहर की है तो

- टीडीएस नहीं कटेगा. इसे रिटर्न ऑफ इनकम में नहीं दिखाना होगा, क्योंकि ये टैक्सेबल नहीं है.