Mutual Fund Investment strategy in record high Market: शेयर बाजार ने बुधवार (28 जून 2023) को नया हाई बनाया. निफ्टी (Nifty) ने पहली बार 19,000 का लेवल पार किया. जबकि, सेंसेक्‍स 64 हजार के नए लेवल पर पहुंच गया. बाजार में जारी यह बुल रन म्‍यूचुअल फंड निवेशक को भी पसंद आ रहा है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि मार्केट के इस नए रिकॉर्ड में म्‍यूचुअल फंड निवेशकों को आगे की स्‍ट्रैटजी कैसे बनानी चाहिए. क्‍या मुनाफा वसूली का यह सही समय है या निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को नए सिरे से रीबैलेंस करने की जरूरत है. वहीं, SIP में निवेशकों को अब किस तरह आगे बढ़ना चाहिए. एक्‍सपर्ट मानते हैं कि बाजार नए रिकॉर्ड पर है. ऐसे में एसेट एलोकेशन पर फोकस करना सही होगा. इसके अलावा निवेशकों को लॉन्‍ग टर्म गोल्‍स पर फोकस बनाए रखना चाहिए.

रिकॉर्ड हाई पर मार्केट, क्‍या करें निवेशक

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एडलवाइस म्‍यूचुअल फंड (Edelweiss MF) के सेल्‍स हेड दीपक जैन का कहना है,  कीमत के मामले में बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर हो सकता हैं लेकिन वैल्‍यू के टर्म में यह जरूरी नहीं है. बीते 20 महीने में बाजार में कई बड़े करेक्‍शन देखने को मिले हैं और यह अक्‍टूबर 2021 में अपने समान लेवल से सस्‍ती वैल्‍युएशन पर है. ऐसे में निवेशकों को एसेट एलोकेशन का सख्‍ती से पालन करना चाहिए. अगर कोई अंडरवैल्‍युड इक्विटी है तो उसमें ज्‍यादा आवंटन करें. 

IDBI AMC के हेड (प्रोडक्‍ट एंड मार्केटिंग) अजीत गोस्‍वामी कहते हैं, भारतीय शेयर बाजार नए रिकॉर्ड पर हैं. इस स्थिति में निवेशकों को अपने लॉन्‍ग-टर्म गोल्‍स पर फोकस बनाए रखना चाहिए. रिस्‍क प्रोफाइल के आधार पर एसेट एलोकेशन स्‍ट्रैटजी को फॉलो करने की सलाह है. अगर जरूरी हो तो पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करें. मार्केट के रिकॉर्ड लेवल पर फायदा कमाने की बजाय पावर ऑफ कम्‍पाउंडिग का लाभ उठाने के लिए लंबी अवधि का नजरिया रखना सही होगा. 

BPN फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है, मार्केट की इस रिकॉर्ड तेजी में अगर आप अपने निवेश लक्ष्‍य के करीब पहुंच गए हैं, तो प्रॉफिट बुक कर कम रिस्‍क वाले डेट फंड में निवेश कर पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करना चाहिए. जिससे कि आगे अगर मार्केट में करेक्‍शन आता भी है, तो आपका निवेश लक्ष्‍य आसानी से पूरा हो सकता है. साथ ही डेट फंड में रिस्‍क इक्विटी फंड्स के मुकाबले कम होगा.

पोर्टफोलियो रिव्‍यू करने का सही समय

दीपक जैन का कहना है, पोर्टफोलियो की समीक्षा करने का निश्चित रूप से यह सही समय है. यह हमेशा से एक अच्‍छी स्‍ट्रैटजी होती है कि निवेशक समय-समय पर पोर्टफोलियो की समीक्षा करें और रिस्‍क क्षमता के मुताबिक उसे रीबैलेंस करें. 

अजीत गोस्‍वामी कहते हैं, निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे नियमित तौर पर पोर्टफोलियो की समीक्षा करें. पोर्टफोलियो रिव्‍यू करने का मतलब यह नहीं कि उसमें बार-बार बदलाव किया जाए या मार्केट के उतार-चढ़ाव के आधार पर खरीदारी या बिकवाली की जाए. बेहतर तरीका यह है कि निवेशक अपने इन्‍वेस्‍टमेंट की परफॉर्मेंस का आकलन करें और यह सुनिश्चित करें कि वह उनके लक्ष्‍य, रिस्‍क लेने की क्षमता, मार्केट के हालात और जरूरी बदलाव के मुताबिक ही है.

SIP में क्‍या हो स्‍ट्रैटजी 

दीपक जैन का कहना है, SIP निवेश को लंबी अवधि के नजरिए से देखना चाहिए. मार्केट के उतार-चढ़ाव के आधार पर SIP से मुनाफावसूली या बाहर निकलने का फैसला नहीं करना चाहिए. एके निगम कहते हैं, SIP निवेशक का लक्ष्‍य लंबी अवधि का है, तो उसे अपना निवेश लगातार बनाए रखना चाहिए. 

अजीत गोस्‍वामी का कहना है, भारतीय शेयर बाजार फिलहाल रिकॉर्ड टॉप पर हैं, इस स्थिति में किसी SIP में मुनाफावसूली करनी चाहिए या नहीं, यह हर निवेशक के निवेश लक्ष्‍य और उसकी व्‍यक्तिगत स्थिति पर निर्भर करता है. यहां ध्‍यान रखें कि मार्केट का अंदाजा लगना काफी चुनौतीपूर्ण है और मार्केट अपनी रिकॉर्ड हाई के बाद भी नए टॉप पर पहुंच सकता है. ऐसे में SIP निवेशकों को निवेश प्‍लान के मुताबिक लॉन्‍ग टर्म के फाइनेंशियल गोल्‍स के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए. 

(डिस्‍क्‍लेमर: म्‍यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन हैं. यहां निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)

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