Mutual Funds in Stocks: म्यूचुअल फंड्स ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय शेयरों पर बुलिश बने हुए हैं. रिटेल निवेशकों की दमदार भागीदारी के दम पर फंड हाउसेस ने FY23 में में घरेलू स्‍टॉक्‍स में 1.82 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया. रिटेल निवेशकों के पुश के अलावा बाजार में करेक्‍शन के चलते आकर्षक वैल्‍युएशन से भी म्यूचुअल फंड ने अपना निवेश बढ़ाया. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड ने वित्त वर्ष 2021-22 में इक्विटी में 1.81 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. इससे पहले 2020-21 में यह आंकड़ा 1.2 लाख करोड़ रुपये था. 

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बजाज कैपिटल के सीएमडी राजीव बजाज ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए इक्विटी निवेश में अगली दो तिमाहियों में सुधार शुरू हो जाएगा. ऐसा अमेरिका में महंगाई कम होने और अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से पॉलिसी रुख में नरमी के चलते होगा. लॉन्‍ग टर्म में विकसित अर्थव्यवस्थाओं में धीमी ग्रोथ की आशंका है, जबकि भारत की ग्रोथ संभावना उनके मुकाबले बेहतर रहने की उम्‍मीद है.

उन्होंने कहा कि सरकार की बेहतर नीतियों के साथ ही निवेश आधारित ग्रोथ (कैपेक्‍स में इजाफा) और बैंकों के बेहतर नतीजों के चलते निकट भविष्य में इनकम बढ़ेगी. इसके अलावा, पीएलआई (प्रोडक्‍शन लिंक्‍ड इन्‍सेंटिव) नीति और 'चाइना प्‍लस वन'मूवमेंट से मदद मिलने का अनुमान है. बजाज ने कहा, ''इसलिए ज्यादातर निवेशक भारत के ग्रोथ आउटलुक को लेकर उत्साहित हैं और उनके लिए भारतीय इक्विटी से बेहतर क्या हो सकता है.'' 

अरिहंत कैपिटल की श्रुति जैन ने  इक्विटी में म्यूचुअल फंड निवेश बढ़ने की कई वजहें बताईं. इनमें संस्थागत निवेशकों के बीच पॉजिटिव सेंटीमेंट और आकर्षक वैल्‍युएशन शामिल है. उनका कहना है कि घरेलू रिटेल निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंड्स को लेकर उत्साहित हैं. अनिश्चितता के दौर में म्‍यूचुअल फंड्स पर उनका भरोसा ज्‍यादा मजबूत हुआ है.

SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) रिटेल निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय निवेश ऑप्‍शन बना हुआ है. उन्‍होंने कहा कि शेयर बाजार में गिरावट से भी मदद मिली है. इससे इक्विटी फंड्स में इनफ्लो बढ़ा है और इसके चलते म्यूचुअल फंड्स की ओर से इक्विटी में खरीदारी में बढ़ोतरी दिख रही है. 

इक्विटी में महंगाई को मात देने की क्षमता: एक्‍सपर्ट

आनंद राठी वेल्‍थ के डिप्‍टी सीईओ फिरोज अजीज का कहना है, इक्विटी महंगाई को पीछे छोड़ते हुए रिटर्न जेनरेट करने का सबसे अच्छा निवेश ऑप्‍शन है. पिछले 22 साल में NSE के बेंचमार्क निफ्टी की परफॉर्मेंस से पता चलता है कि इक्विटी उतना जोखिम भरा नहीं है जितना निवेशकों द्वारा माना जाता है, जबकि यह महंगाई को मात देने वाला रिटर्न पैदा करता है. बीते पिछले 22 साल में केवल चार उदाहरण हैं जब निफ्टी ने संबंधित कैलेंडर ईयर के लिए निगेटिव औसत रिटर्न दिया है और पिछले 22 साल में CAGR (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) रिटर्न 12.86 फीसदी रहा है.