Mutual Fund: म्‍यूचुअल फंड खासकर इक्विटी म्‍यूचुअल फंड्स में निवेशक लगातार पैसा लगा रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के मार्च महीने के आंकड़ों को देखें तो इक्विटी फंड्स में कुल 22,633 करोड़ रुपये का इन्फ्लो दर्ज किया गया. इसके अलावा SIP के जरिए निवेश लगातार नए रिकॉर्ड छू रहा है. मार्च में रिकॉर्ड 19,271 करोड़ रुपये का निवेश SIP के जरिए किया गया. एक्‍सपर्ट मानते हैं कि SIP को लंबी अवधि के नजरिए करना चाहिए, तभी इसमें कम्‍पाउंडिंग का फायदा मिलता है. दूसरी ओर, अगर आप लॉन्‍ग टर्म निवेशक हैं तो अपने पोर्टफोलियो पर समय-समय पर नजर रखना जरूरी है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि निगेटिव कम्‍पाउंडिंग की भी आशंका रहती है. एक्‍सपर्ट मानते हैं कि अगर निवेशक अपने पोर्टफोलियो को लेकर अलर्ट है, तो वह निगेटिव कम्‍पाउंडिंग से बच सकता है. 

निगेटिव कम्‍पाउंडिंग है क्‍या 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

निवेश को लेकर लंबी अवधि का नजरिया हमेशा वेल्‍थ क्रिएशन में मददगार होता है. क्‍योंकि, पैसे को बढ़ाने में कम्‍पाउंडिंग की पावर काम करती है. लेकिन, निवेशकों को इस बात को लेकर भी अलर्ट रहना चाहिए कि कहीं निगेटिव कम्‍पाउंडिंग तो नहीं हो रही. इसे एक अदाहरण से समझिए, मान लीजिए आपके पोर्टफोलियो में 3 स्‍कीम हैं. पहली स्‍कीम का सालाना रिटर्न 15 फीसदी, दूसरी का 5 फीसदी और तीसरी स्‍कीम का 14 फीसदी निगेटिव रिटर्न है. इस तरह टोटल में देखें तो आपका नेट रिटर्न करीब 6 फीसदी रहा. इसका मतलब कि आपको दो स्‍कीम से कम्‍पाउंडिंग का जिस तरह जबरदस्‍त फायदा हो रहा है, तीसरी स्‍कीम उसे कमजोर कर रही है.

एक्‍सपर्ट से समझें कैसे बचें

मार्केट एक्‍सपर्ट एवं PersonalCFO के CEO सुनील जैन का कहना है, निगेटिव कम्‍पाउंडिंग से बचने के लिए जरूरी है कि अपने पोर्टफोलियो में शामिल म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम्‍स की नियमित समीक्षा करें और लो परफॉर्म करने वाली स्‍कीम्‍स पर एक्‍शन लें. लेकिन, यहां इस बात का ध्‍यान रखें कि फंड स्विच करने से पहले एग्जिट लोड, टैक्‍सेशन और मार्केट कंडीशन को जरूर समझ लें. 

सुनील जैन कहते हैं, एक्‍सपेंस रेश्‍यो और अन्‍य दूसरे रेश्‍यो जैसेकि स्‍टैंडर्ड डेविएशन, टर्नओवर रेश्‍यो आदि को भी जरूर चेक कर लेना चाहिए. सबसे बड़ी बात यह कि मार्केट कंडीशन के आधार पर एसेट एलोकेशन की समीक्षा करनी जरूरी है. इस तरह निवेशक निगेटिव कम्‍पाउंडिंग से बच सकता है. 

BPN फिनकैप के डायरेक्‍टर अमित कुमार निगम का कहना है कि निगेटिव कम्‍पाउंडिंग से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि हरेक निवेशक को समय-समय पर अपना पोर्टफोलियो रीबैलेंस करना चाहिए. 3 महीने, 6 महीने या 1 साल में पोर्टफोलियो के फंड्स की परफॉर्मेंस समीक्षा करनी चाहिए. अगर पोर्टफोलियो में कोई नॉन-परफॉर्मिंग स्‍कीम है, तो उसे बेंचमार्क और पीयर्स स्‍कीम से तुलना करें और अपने वित्‍तीय सलाहकार से मिलकर रीबैलेंस करें. 

उनका कहना है कि उन स्‍कीम्‍स से दूरी बनाएं, जिनकी परफॉर्मेंस लगातार खराब है. बिना अच्‍छी रिसर्च या किस एक्‍सपर्ट की सलाह के बिना फंड न चुनें. निवेश को लेकर बहुत ज्‍यादा एक्‍सपेरिमेंटल नहीं होना चाहिए. अपनी रिस्‍क प्रोफाइल, उम्र, इन्‍वेस्‍टमेंट गोल का जरूर ध्‍यान रखें. 

इक्विटी फंड्स में निवेश जारी

AMFI की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, इक्विटी फंड्स में पिछले महीने में कुल 22,633 करोड़ रुपये का निवेश आया. जबकि डेट फंड्स से 1,98,298 करोड़ रुपये की निकासी हुई. फरवरी में इक्विटी फंड्स में कुल 26,865 करोड़ और डेट फंड्स में कुल 63,808 करोड़ रुपये का निवेश आया था. मार्च 2024 में सबसे ज्‍यादा निवेश सेक्‍टोरल फंड्स में 7,917 करोड़ रुपये हुआ.

SIP की बात करें, तो लगातार निवेश का नया रिकॉर्ड बन रहा है. मार्च में 19271 करोड़ रुपये SIP के जरिए म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम्‍स में आए. फरवरी में यह आंकड़ा 19187 करोड़ रुपये था. यह लगातार दूसरा महीना था जब SIP के जरिए 19 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया गया. FY24 में SIP के जरिए कुल 199219 करोड़ रुपये का निवेश किया गया.

 

(डिस्‍क्‍लेमर: म्‍यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. यहां निवेश की सलाह नहीं है. निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)