Motor third party Insurance Premium Hike: मोटर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जिसकी आखिरी बार मार्च 2020 में बढ़ोतरी की तैयारी पूरी हो चुकी थी लेकिन कोविड की वजह से टाल दिया गया था अब वह साल 2022 में बढ़ोतरी होते हुए दिख सकती है. इस महीने इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से रेगुलेटर IRDAI को भेजे गए प्रस्ताव में 15 से 20 परसेंट तक बढ़ोतरी की मांग की गई है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

25 जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को उम्मीद

खबर के मुताबिक, देश में मौजूद 25 जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को उम्मीद है कि तीसरे साल थर्ड पार्टी प्रीमियम में बढ़ोतरी से कंपनियों को कुछ राहत मिलेगी. कंपनियों के मुताबिक मौजूदा दरें Sustainable नहीं हैं, कुछ कंपनियों की सॉल्वेंसी तय मानक से नीचे आई है 

और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस से जुड़े क्लेम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिससे कंपनियों पर दबाव बना है. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नई नई टू व्हीलर की बिक्री पर 5 साल का और फोर व्हीलर पर 3 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जरूरी है. इसलिए जनवरी 2022 में बिकने वाले टू व्हीलर के लिए 2027 तक का बीमा कवर दिया जा रहा है 2019 की थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम दरों के मुताबिक

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवरेज होना जरूरी

मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक सड़क पर चलने वाली हर गाड़ी के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवरेज होना जरूरी है और इस थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का प्रीमियम (Motor third party Insurance Premium Hike) इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीए (IRDAI) की तरफ से तय किया जाता है जिसकी हर साल समीक्षा होती है, लेकिन 2019 के बाद से कोविड-19 जैसे लगातार दो साल थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया. इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीए कि वित्त वर्ष 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों का कुल कारोबार का 25% हिस्सा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवरेज के जरिए है, रिपोर्ट के मुताबिक सभी कंपनियों ने 40 हज़ार करोड रुपया प्रीमियम थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के रूप में कारोबार किया है.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

आम आदमी के लिए बीमा का खर्च बढ़ जाएगा

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम (Motor third party Insurance Premium) में बढ़ोतरी से जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को तो कुछ राहत मिलेगी लेकिन आम आदमी के लिए बीमा का खर्च बढ़ जाएगा. नई गाड़ी खरीदने वाले को भी ज्यादा पैसे चुकाने होंगे और अपने इंश्योरेंस रिन्यू करने के लिए भी कुछ प्रतिशत ज्यादा खर्च करने होंगे जिसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा.