जिस तेजी से मेडिकल खर्च बढ़ रहा है, उसको देखते हुए एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी हो जाता है. एक सही हेल्थ इंश्योरेंस अस्पताल के भारी भरकम बिल का बोझ आपकी जेब पर नहीं पड़ने देता है. हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त दो विकल्प हमारे सामने आते हैं. एक इंडिविजुअल और दूसरा ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी. आज मनी गुरु में हम आपको समझाने वाले हैं दोनों के बीच फर्क और बताएंगे कि आपकी ज़रूरत के हिसाब से आपके लिए कौन सा हेल्थ इंश्योरेंस कवर होगा बेहतर? इन सब चीजों पर बात करने के लिए हमारे साथ जुड़ गए हैं रूंगटा सिक्योरिटीज के सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर हर्षवर्धन रूंगटा.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हेल्थ इंश्योरेंस लेना क्यों जरूरी

आज मेडिकल खर्च लगातार महंगा हो रहा है. अस्पताल में इलाज काफी महंगा हो गया है. आज के समय में लोगों की लाइफ स्टाइल ऐसी हो गई है कि उनके बीमार पड़ने की संभावना रहती है. ऐसे में अगर आप एक हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं तो बीमा होने की वजह से इलाज के खर्च का बोझ आपपर कम पड़ेगा. इसके अलावा आप एक अच्छे अस्पताल में इलाज करा सकेंगे. आपकी गाढ़ी कमाई इलाज में खर्च होने से बच सकती है.

कौन-सी पॉलिसी है अच्छी

बाजार में कई तरह की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध हैं. इनमें से मेडिक्लेम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का चुनाव सबसे ज्यादा किया जाता है. इसकी वजह है कि यह हॉस्पिटलाइजेशन एक्सपेंस रेशियो री-इम्बर्समेंट पॉलिसी है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि अस्पताल में भर्ती होने पर सारा खर्च री-इंबर्स हो जाएगा. ये पॉलिसी घर के हर व्यक्ति के पास होनी चाहिए.

मेडिक्लेम महंगा या सस्ता

पिछले कुछ वक्त में मेडिक्लेम पॉलिसी में काफी बदलाव आए हैं. अब आप कम दाम में अच्छा कवर हासिल कर सकते हैं. इस मामले में पॉलिसी लेते वक्त बेस पॉलिसी और सुपर टॉप-अप खरीदें. इससे आपको कम दाम में बड़ा हेल्थ कवर मिलेगा. 

कितने का कवर लेना सही

हेल्थ इंश्योरेंस में अगर कवर की बात करें तो किसी भी व्यक्ति को कम से कम 5 लाख की बेस पॉलिसी लेना चाहिए. परिवार के लिए 20 लाख का फैमिली फ्लोटर सुपर टॉप-अप लें. इससे परिवार के सभी सदस्यों को 25 लाख का कवर मिलेगा. इससे आप मानसिक तौर पर मेडिकल इमरजेंसी में वित्तीय चिंता से मुक्त रहेंगे.

पॉलिसी लेते वक्त क्या ध्यान रखें

मेडिक्लेम पॉलिसी लेते वक्त कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए. रूम रेंट सब-लिमिट और बीमारी के लिए सब-लिमिट जरूर चेक करें. वेटिंग पीरियड और कौन-सी बीमारियां हैं बाहर, इसकी जरूर पड़ताल करें. साथ ही आपको यह देखना चाहिए कि किन अस्पतालों में कैशलेस इलाज मिलेगा. बिना सब-लिमिट वाली पॉलिसी लेना ज्यादा अच्छा रहेगा. 

इंडिविजुअल Vs ग्रुप इंश्योरेंस

ग्रुप पॉलिसी कंपनी या संस्थान की तरफ से ली जाती है. इस पॉलिसी के तहत कंपनी के सभी सदस्य या कर्मचारी कवर होते हैं. कंपनियां इस पॉलिसी का फायदा अपने कर्मचारियों को देती हैं. कई बार पॉलिसी का पूरा प्रीमियम कंपनी भरती है. कहीं पर आधा या कुछ हिस्सा प्रीमियम कर्मचारी को भरना पड़ता है.  

इंडिविजुअल पॉलिसी 

इंडिविजुअल पॉलिसी कोई भी व्यक्ति ले सकता है. व्यक्ति इंश्योरेंस कंपनी से सीधे पॉलिसी लेता है. स्टैंडर्ड पॉलिसी की शर्तों में बदलाव संभव नहीं है. ग्रुप इंश्योरेंस होने पर भी अलग पॉलिसी है फिर भी उसे इंडिविजुअल पॉलिसी लेनी चाहिए. ग्रुप पॉलिसी का फायदा तब तक ही मिलता है, जब तक आप कंपनी में नौकरी कर रहे हैं. कंपनी छोड़ने पर पॉलिसी का फायदा नहीं ले सकेंगे. 

ग्रुप पॉलिसी के साथ अलग से पॉलिसी लेना क्यों जरूरी

इसे आप जेट एयरवेज के संकट से समझ सकते हैं. जेट एयरवेज ने ग्रुप इंश्योरेंस का प्रीमियम भरा ही नहीं. जेट ने कहा- उसके पास प्रीमियम भरने को पैसे नहीं हैं. इस चक्कर में 1 मई से कर्मचारियों को ग्रुप पॉलिसी का लाभ नहीं मिल रहा. ऐसे में जेट ने अपने कर्मचारियों को अलग से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की सलाह दी.  

क्लेम कहां से लें?

अगर आपके पास ग्रुप और इंडिविजुअल, दोनों हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी हैं तो ऐसे में ग्रुप इंश्योरेंस से क्लेम पहले लें. ग्रुप पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारी कवर होती है. इंडिविजुअल पॉलिसी में ये सुविधा नहीं मिलती है.

रिटायरमेंट के बाद हेल्थ इंश्योरेंस

आपको बता दें कोई कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद ग्रुप पॉलिसी में कवर नहीं होते हैं. कंपनी ने पोस्ट-रिटायरमेंट कवर लिया है तो संभव है अन्यथा हर व्यक्ति को इंडिविजुअल पॉलिसी लेनी चाहिए.