ITR Filing Process: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन करीब आ रही है. 31 जुलाई 2023 तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है. अगर इस तारीख तक ITR जमा नहीं होता तो मुश्किल हो सकती है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) लगातार डेडलाइन (ITR Filing Deadline) से पहले ITR दाखिल करने की अपील कर रहा है. अगर सरकार डेडलाइन नहीं बढ़ाती है, तो 31 जुलाई के बाद आपको पेनाल्टी के साथ रिटर्न भरना होगा. इसलिए बिना पेनाल्टी के रिटर्न फाइल करने के लिए जल्दी करें.

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इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने के प्रोसेस को पिछले कुछ समय में आसान बनाया गया है. अब रिटर्न भरना पहले के मुकाबले काफी आसान भी है. इसलिए अगर आपके पास सभी डॉक्यूमेंट्स हैं तो आप खुद भी इसे फाइल कर सकते हैं. इसके लिए आपको किसी CA या एक्सपर्ट की जरूरत नहीं पडे़गी. मिनटों में आप रिटर्न फाइल कर सकते हैं. बसे इन प्वाइंट को नोट कर लें.

TAX रिजीम का सेलेक्शन जरूरी

ITR भरते वक्त ध्यान रहे इस बार न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को डिफॉल्ट रखा गया है. मतलब आपको ये तय करना होगा कि ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) में जाना है या फिर न्यू टैक्स रिजीम को ही सेलेक्ट करना है. अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर फाइल करना चाहते हैं, तो इसे बदलना होगा. न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स छूट के बहुत कम विकल्प हैं. हालांकि, 7 लाख तक इनकम टैक्स फ्री है. वहीं, ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स छूट की सीमा को नहीं बढ़ाया गया है. लेकिन, इन्वेस्टमेंट के लिहाज से काफी ऑप्शन खुले हैं.

Form 16 पास रखें

नौकरीपेशा को अपने एम्प्लॉयर से फॉर्म 16 (Form 16) या 16A लेना चाहिए. हर फाइनेंशियल ईयर के आखिर में एम्प्लॉयर की तरफ से फॉर्म जारी किया जाता है. इसमें आपकी सैलरी से जुड़ी तमाम जानकारियां होती हैं, जैसे बेसिक सैलरी, HRA और दूसरे अलाउंस. इनमें कई तरह से टैक्स छूट भी हासिल की जा सकती है. 

26AS से चेक करें TDS

इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त अपने डॉक्यूमेंट्स की जांच जरूर करें. फॉर्म 26AS एक ऐसा ही डॉक्युमेंट है. इसमें टैक्स स्टेटमेंट का एक कंसोलिटेड डेटा होता है. एम्प्लॉयर या किसी दूसरे सोर्स ऑफ इनकम से काटे गए टैक्स का पूरा ब्योरा इसमें दिया जाता है. टैक्स डिडएक्शन एट सोर्स (TDS), टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (TCS) जैसी जानकारियां फॉर्म 26AS में होती हैं.

स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड की कमाई

स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स से कमाए गए मुनाफे और डिविडेंड को भी आपकी इनकम में जोड़ा जाता है. इसके लिए कैपिटल गेन स्टेटमेंट का होना जरूरी है. ITR भरते वक्त इसे साथ रखें. इसके अलावा अगर कोई प्रॉपर्टी बेचकर निवेश किया है तो इसे भी आईटीआर में शामिल करें. इस पर भी टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है.

AIS से मैच करें डेटा

फॉर्म 26AS में दी गई TDS और TCS की जानकारी को एनुएल इंफोर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) से मैच करें. इसमें आपके सभी सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स की भी डीटेल्स होती हैं. इस पर कमाया गया ब्याज कितना है इसकी जानकारी मिलती है. सेविंग्स अकाउंट के ब्याज को भी आपकी इनकम में जोड़ा जाता है. ITR भरते वक्त इसका विवरण भी जरूरी है. बस इसके बाद आप अपना ITR फाइल कर सकते हैं. मिनटों में आयकर रिर्टन (Income tax return) फाइल हो जाएगा.

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