बीमा नियामक IRDAI ने नियमों में बदलाव कर पारंपरिक लाइफ इंश्योरेंस (Life Insurance) स्कीम में पॉलिसी होल्डर की मृत्यु होने पर न्यूनतम सम एश्योर्ड सालाना प्रीमियम के 10 गुना से घटाकर 7 गुना कर दिया है. इसका असर लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम (Premium) पर मिलने वाली टैक्स छूट पर भी पड़ेगा. क्योंकि इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक कर छूट पॉलिसी के समएश्योर्ड के अधिकतम 10 परसेंट सालाना प्रीमियम पर ही मिल सकती है. 

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उदाहरण के तौर पर अगर पॉलिसी पर 7 लाख समएश्योर्ड है तो अधिकतम 70 हजार ही छूट मिलेगी लेकिन 7 गुना सालाना प्रीमियम वाली पॉलिसी है तो 1 लाख प्रीमियम पर 70 हजार रुपए तक ही टैक्स छूट मिलेगी और बाकी 30 हजार पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी.  

JMP एडवाइजर्स के डायरेक्ट टैक्स हेड राजेश अठावले के मुताबिक बीमा प्रीमियम पर समएश्योर्ड के 10% तक इनकम टैक्स में सेक्शन 80C में अधिकतम 1.5 लाख तक की छूट मिलती है. 10% तक प्रीमियम पर मैच्योरिटी रेट भी टैक्स फ्री है. नए नियम आने के बाद कई नई पॉलिसी में पूरी छूट नहीं मिलेगी. इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव के बाद ही पूरी छूट मुमकिन है. इंश्योरेंस कंपनियां सरकार पर बदलाव के लिए दबाव डाल सकती हैं.

इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस की MD आरएम विशाखा के मुताबिक सम एश्योर्ड सालाना प्रीमियम के 10 गुना से घटाकर 7 गुना करने से ग्राहकों को कम अवधि के बेहतर प्रोडक्ट्स ऑफर कर पाना मुमकिन होगा.

इनकम टैक्स छूट के अतिरिक्त दिया गया प्रीमियम मैच्योरिटी रेट के लिए भी टैक्सेबल होगा. इंश्योरेंस रेगुलेटर ने यह बदलाव प्रोडक्ट्स को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए किया है. इसका 1 मकसद कम अवधि के लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स भी ग्राहकों को ऑफर किया जाना है. 

नियमों में बदलाव से पॉलिसी होल्डर्स पर कुछ पॉलिसी में टैक्स छूट पर असर पड़ेगा. लेकिन इनकम एक्ट में बदलाव कर इसे एकसमान किया जा सकता है और इंश्योरेंस कंपनियों ने सरकार से इसकी गुजारिश करना शुरू कर दिया है.