Investment Tips: साल 2022 अब खत्म होने वाला है और नए साल की शुरुआत ऐसे समय में हो रही है, जब शेयर बाजार अपने रिकॉर्ड हाई के करीब ट्रेड कर रहे हैं. हालांकि बीते साल बाजार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई, रेट हाइक, संभावित मंदी जैसे फैक्‍टर बाजार में हावी रहे. बाजार ने 2022 में मिक्स्ड रिटर्न दिया है. अब जब साल 2023 शुरू होने जा रहा है तो निवेशकों को अपनी क्‍या स्‍ट्रैटेजी रखनी चाहिए? आने वाले कुछ सालों में निवेश की कौन सी थीम बेहतर साबित हो सकती है. आइडियल एसेट एलोकेशन किस तरह का हो? आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.

ये इन्‍वेस्‍टमेंट थीम हो सकती बेहतर

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PGIM इंडिया म्‍यूचुअल फंड के CIO श्रीनिवास राव रावुरी भारत खुद ही वैश्विक परिप्रेक्ष्य से एक उभरती हुई निवेश थीम है. भारत अभी विश्व स्तर पर 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) के मामले में तीसरे नंबर पर है. वैश्विक क्षेत्र में और विशेष रूप से उभरते बाजारों में भारत का महत्व और प्रासंगिकता बढ़ी है. यह ट्रेंड अभी जारी रहने का अनुमान है.

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भारत में राजनीतिक स्‍तर पर स्थिरता दिख रही है, कंजम्पशन मजबूत है और सरकार द्वारा रिफॉर्म जारी है, जिससे बाजार को सपोर्ट मिलता दिख रहा है. ऐसे में अगले दशक में भारत में निवेश में तेजी आएगी. दूसरी थीम भारत में मैन्‍युफैक्‍चरिंग (Manufacturing) क्षमता बढ़ना है. अस्थिर जियो पॉलिटिकल स्थिति, कच्चे माल की अनिश्चितता और डाइवर्सिफाइंग सोर्सिंग की आवश्यकता को देखते हुए, चाइना प्लस वन स्‍ट्रैटेजी में बढ़ोतरी देखी जानी चाहिए.

हमारी GDP का योगदान सर्विसेज की ओर बहुत ज्यादा झुका हुआ है और ग्रोथ का अगला फेज प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और डोमेस्टिक मैन्‍युफैक्‍चरिंग को बढ़ावा जैसी योजनाओं द्वारा सहायता प्राप्त मैन्‍युफैक्‍चरिंग से आना चाहिए. तीसरी थीम प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के आधार पर कंजम्पशन पर होगा. जैसे-जैसे भारत की अधिक से अधिक आबादी आर्थिक रूप से आगे बढ़ती है, कंजम्पशन की मात्रा और क्वालिटी दोनों में ग्रोथ देखी जाती है. यह ट्रेंड संबद्ध क्षेत्रों जैसे कि फाइनेंशियल, डिजिटलाइजेशन में भी फ्लो होती है.

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SIP के जरिए निवेश रखें जारी

किसी भी निवेशक और विशेष रूप से रिटेल निवेशकों के लिए बाजार में समय बिताने की तुलना में टाइमिंग अधिक महत्वपूर्ण है. छोटी अवधि की अस्थिरता से निपटने के लिए SIP सही तरीका है और निवेशकों को SIP के जरिए निवेश जारी रखना चाहिए. छोटी अवधि में बाजार अस्थिर हो सकता है, हालांकि लंबी अवधि में अस्थिरता बहुत कम होती है. अगर आपका लक्ष्य लंबी अवधि का है तो अस्थिरता के दौरान बेहतर यह है कि डेली बेसिस पर पोर्टफोलियो को न देखें. निवेश को पेशेवर फंड मैनेजरों पर छोड़ दें.

निवेशकों को उम्र के हिसाब से एसेट एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए जिससे लक्ष्य आधारित कॉर्पस जमा करने में मदद मिलती है. साथ ही रिटायरमेंट जैसी लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. अगर आपके पास विश्वसनीय और सक्षम एडवाइजर है तो वित्तीय चिंता कम हो जाती है. वहीं इससे फाइनेंशियल फ्रीडम भी हासिल करने में मदद मिलती है.

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डाइवर्सिफिकेशन के जरिए रिस्क करें कम

भारतीय बाजारों ने पिछले दिनों अन्‍य ग्लोबल मार्केट की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि वैल्‍युएशन सस्ते नहीं हैं, लेकिन बहुत हाई भी नहीं हैं, क्योंकि भारत में आय में भी अच्छी ग्रोथ देखी गई है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, कमोडिटी की कीमतों में अस्थिरता, सप्लाई चेन को लेकर अनिश्चितता, महंगाई और आगामी रेट हाइक जैसे जोखिम बाजार में बने रह सकते हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश वैश्विक या अस्थायी प्रकृति के हैं. फिलहाल, जोखिम इक्विटी निवेश का एक हिस्सा है. हमें इसे स्वीकार करना चाहिए हैं और डाइवर्सिफिकेशन के जरिए उन्हें कम करने का प्रयास करना चाहिए.

PGIM इंडिया म्‍यूचुअल फंड में, हर फंड मैनेजर को फंड के मैनडेट और उनके विचारों के अनुसार स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यह विशेष रूप से पोर्टफोलियो के दोहराव और हमारे द्वारा किसी भी सेक्टर/स्टॉक में अधिक निवेश से बचने के लिए किया जाता है. इसलिए इस सवाल का कोई जवाब नहीं है. हालांकि, सामान्य तौर पर हम फाइनेंशियल (एसेट क्वालिटी में सुधार क्रेडिट ग्रोथ में सुधार) और इंडस्ट्रियल्स (घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पुश) पर पॉजिटिव है, जबकि एफएमसीजी, एनर्जी और यूटिलिटीज पर अंडरवेट लेकिन अंडरवेट रहे हैं.

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पहली बार निवेश करने वालों के लिए टिप्स

पहली बार निवेश करने वालों के लिए, लंबी अवधि के लक्ष्‍य के साथ अपेक्षाकृत कम अस्थिरता, डाइवर्सिफाइड प्रोजेक्ट में निवेश करना सही स्‍ट्रैटेजी होगा. डायवर्सिफाइड/फ्लेक्सी कैप, ELSS और लार्ज कैप फंड सही विकल्प हो सकते हैं. ELSS कटेगिरि को 3 साल के लॉक इन से लाभ मिलता है. उम्र और अन्य प्रतिबद्धताओं के आधार पर, निवेशकों को अपनी जोखिम लेने की क्षमता/उम्र और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार मिड और स्मॉल कैप फंड या बैलेंस्ड/हाइब्रिड फंड में पैसा लगाना चाहिए.

इक्विटी मार्केट से आपने क्या सीखा?

प्रमुख सीख में से एक है, उत्साह से दूर न होना. यह सामान्य तौर पर किसी भी स्टॉक, सेक्टर या बाजार में हो सकता है. बाजार अत्यधिक आशावाद और निराशावाद की अवधि के बीच स्विंग करता है. उम्मीदों को सामान्य और व्यावहारिक बनाए रखने से इन सीमाओं से लाभ उठाने में मदद मिलती है. दूसरा रीजनेबल प्राइस यानी उचित कीमतों पर ग्रोथ रिस्क रिवार्ड को काफी हद तक बैलेंस करता है और लंबी अवधि के अल्फा बनाने में मदद करता है. ओवर लिवरेज, निवेश की कैश फ्लो पैदा करने की क्षमता की कमी और संदिग्ध कॉर्पोरेट प्रशासन जैसे जोखिमों से बचें. इन जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, पोर्टफोलियो में बड़ी गलतियां करने से बचने में मदद मिलती है.

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