Investment strategy for 2022: नए साल में निवेश को लेकर प्‍लान बना रहे हैं, तो एक सबसे अहम बात एसेट एलोकेशन पर जरूर ध्‍यान में रखें. दरअसल, एसेट एलोकेशन एक तरह से इन्‍वेस्‍टमेंट स्‍ट्रैटजी है, जिससे कि आपका रिस्‍क और रिवॉर्ड बैलेंस हो सके. इसमें इन्‍वेस्‍टमेंट पोटफोलियो को अलग-अलग तरह के एसेट क्‍लास जैसेकि इक्विटी, फिक्‍स्‍ड इनकम, कैश या लिक्विड फंड, रीयल एस्‍टेट में बांट लेते हैं. एक्‍सपर्ट मानते हैं कि इससे निवेशक को अगर किसी एक एसेट क्‍लास में नुकसान हो रहा है, तो दूसरे एसेट से बैलेंस हो जाए या अच्‍छा रिटर्न मिल सके. 

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बीपीएन फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है कि एसेट एलोकेशन को सरल शब्‍दों में समझें, अगर आप नए साल से एक निश्चित रकम हर महीने निवेश करना करना चाहते हैं, तो आपको इस फंड को एक जगह लगाने की बजाय अलग-अलग जगहों पर जैसेकि, कुछ रकम इक्विटी, कुछ फिक्‍स्‍ड इनकम, गोल्‍ड और रीयल एस्‍टेट में लगाना चाहिए. 

क्‍यों जरूरी है एसेट एलोकेशन

एके निगम का कहना है कि अलग-अलग एसेट क्‍लास अलग-अलग डायरेक्‍शन में चलते हैं. सभी तरह के एसेट क्‍लास एकसाथ एक तरह से परफॉर्म करें, ये मुमकिन नहीं है. कोई निवेशक यह मान सकता है कि म्‍यूचुअल फंड में निवेश करना अच्छा ऑप्‍शन है. वास्‍तव में अगर लंबी अवधि का नजरिया रखें तो म्‍यूचुअल फंड में रिटर्न अच्‍छा रहता है. हालांकि, किसी भी व्यक्ति के लिए यह अनुमान लगा पाना बेहद मुश्किल है कि कौन-सा एसेट क्‍लास किस समय कैसा प्रदर्शन करेगा. अमूमन जब शेयर बाजार बढ़ता है तो सोने में निवेश घट सकता है. इसका उल्‍टा भी है. 

निगम का कहना है कि ऐसे में निवेशक को मिक्‍स एसेट क्‍लास में निवेश करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्‍योंकि अगर कोई एक एसेट क्‍लास या फंड अंडरपरफॉर्मर है तो दूसरा एसेट क्‍लास इसे बैलेंस कर देगा. हमेशा यह ध्‍यान रखें कि एक एसेट क्‍लास या म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम में निवेश करना काफी जोखिम भरा हो सकता है. अगर किसी निवेशक के पोर्टफोलियो में अलग-अलग एसेट क्‍लास हैं, तो वह दमदार रिटर्न बना सकता है.

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एसेट एलोकेशन में किस बात का रखें ध्‍यान 

निगम का कहना है कि एसेट एलोकेशन में कभी भी यह नहीं करना चाहिए सभी एसेट क्‍लास में बराबर-बराबर निवेश करना शुरू कर दें. यह हर निवेशक की आर्थिक स्थिति, उम्र और निवेश के लक्ष्‍य के मुताबिक अलग-अलग हो सकता है. यह बात याद रखें जिस पोर्टफोलियो में प्रोडक्‍ट सलेक्‍शन और एसेट एलोकेशन (asset allocation) बेहतर है, उसे बाजार में हमेशा दमदार रिटर्न मिलता है. अगर आप अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहतर एसेट एलोकेशन को लेकर फैसला नहीं कर पा रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप एक्‍सपर्ट की मदद लें. फाइनेंशियल एडवाइजर बेहतर एसेट एलोकेशन में आपकी अच्‍छी तरह से मदद कर सकता है. 

Asset allocation की स्‍ट्रैटजी कई तरह से बनाई जाती है. इसमें एक स्‍ट्रैटजी उम्र को लेकर भी है. जैसे मान लीजिए, अगर आपकी उम्र 30 साल है तो अमूमन निवेश का 70 फीसदी एलोकेशन इक्विटी फंड में करना चाहिए. जबकि, शेष 30 फीसदी रकम अन्‍य दूसरी एसेट क्‍लास में लगानी चाहिए.