Income Tax Return: इनकम टैक्स रिटर्न भरने के दिन (ITR Filing 2023) आ गए हैं. इस बार कैपिटल गेन टैक्स को लेकर आपको नियम बदले हुए दिखेंगे, वैसे तो काफी कुछ बदला दिखेगा. न्यू टैक्स रिजीम ही अब डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है. डेट म्यूचुअल फंड्स पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital gain tax rule) को लेकर नए नियम 1 अप्रैल से लागू हो चुके हैं, जिसमें आपको डेट फंड पर रिटर्न पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन का फायदा नहीं मिलेगा. लेकिन हमारे इस आर्टिकल का फोकस इक्विटी में किसी भी तरह के निवेश के टैक्सेशन पर है. अगर आप इक्विटी से पैसे (equity investment tax rule) कमाते हैं, लेकिन आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है तो इसे लेकर क्या नियम होगा? आईटीआर फाइलिंग से पहले ये सारी चीजें जान लीजिए.

इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर टैक्स के क्या हैं नियम? (Equity Investment Taxation)

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अगर आप इक्विटी इन्वेस्टमेंट करते हैं, जैसे शेयर बाजार में लिस्टेड शेयरों में पैसे लगा रखे हैं, या फिर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, और इनमें अपना निवेश 1 साल से ज्यादा वक्त तक के लिए बनाए रखते हैं तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में आता है और इसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. लेकिन 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर आपको टैक्स छूट मिलती है. इसके ऊपर के रिटर्न पर आपको 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा.

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आईटीआर फाइल करते हैं तो....

अगर आप इक्विटी इन्वेस्टमेंट करते हैं और आपको आईटीआर फाइल करना है तो आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में ये सोर्स डिस्क्लोज़ करना होगा. आपको अपना एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट भी चेक करना चाहिए, इसमें आपकी इनकम और टैक्स रिटर्न से जुड़ी सारी जानकारियां रहती हैं. 

कब नहीं भरना होगा टैक्स?

लेकिन अगर आपकी पूरी टैक्स लायबिलिटी ही ज़ीरो है तो आपके ऊपर आईटीआर फाइल करने की बाध्यता नहीं होती है. ये दूसरी बात है कि टैक्सेबल इनकम के दायरे में नहीं आने के बावजूद आपको आईटीआर फाइल करने की सलाह दी जाती है. 

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क्यों भरना चाहिए आईटीआर?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुताबिक, टैक्स लायबलिटी नहीं होने पर आपको टैक्स भरने से छूट मिली हुई है, लेकिन फिर भी आपको कई कारणों के चलते आईटीआर भरना चाहिए. सबसे पहले तो यह आपकी आय का कानूनी प्रमाण होता है. अगर आपकी सैलरी से टीडीएस कट गया है तो आपको टीडीएस क्लेम करने के लिए आईटीआर फाइल करना चाहिए. इससे लोन लेने में भी मदद मिलती है. आपको पासपोर्ट या वीजा वगैरह के लिए आपको आय प्रमाण से जुड़े दस्तावेज दिखाने की जरूरत होती है, ऐसे में आईटीआर बड़ा प्रूफ साबित होता है.

क्या है टैक्सेबल इनकम का दायरा?

देश में दो टैक्स रिजीम हैं- ओल्ड और न्यू. दोनों में काफी फर्क हैं. इसमें टैक्सेबल इनकम का दायरा भी अलग-अलग है. अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम में आईटीआर फाइल करते हैं तो आपको 2.5 लाख तक के ग्रोस टोटल इनकम पर कोई टैक्स नहीं भरना होता है. इसके ऊपर भी आप रिबेट और एक्जेम्पशन लेकर दो लाख तक टैक्स बचा सकते हैं. इससे आपकी टैक्स की देनदारी कम होती है.

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न्यू टैक्स रिजीम में टैक्सेबल इनकम का दायरा

न्यू टैक्स रिजीम में इस बार के बजट में 3 लाख तक की आय को टैक्स भरने तक पूरी तरह से छूट मिली हुई है. वहीं, रिबेट के साथ 7 लाख तक की इनकम पर भी टैक्स छूट मिल जाती है, इससे आपकी टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है.