Tax: टैक्स से जुड़े टर्म या उसके अलग-अलग नाम को लेकर कई लोग उलझन में होते हैं. उन्हें इनकम टैक्स में छूट यानी Income tax rebate, टैक्स छूट यानी tax exemption और टैक्स में कटौती यानी tax deduction जैसे शब्दों में अंतर या उसके सही मतलब को लेकर क्न्फ्यूजन होता है. ऐसे में टैक्स से जुड़ी चीजों को समझना बेहद जरूरी है. इससे आपको खुद के वित्तीय काम-काज में मदद मिलेगी. टैक्स का मतलब सिर्फ इनकम टैक्स या इसका स्लैब भर नहीं है. आइए हम यहां इस पर चर्चा करते हैं.

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इनकम टैक्स में छूट (Income tax rebate)

इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 87ए (87A) के मुताबिक यह टर्म टैक्स पर लागू होता है. आप टैक्स योग्य इनकम से अपनी टैक्स देनदारी का कैलकुलेशन कर सकते हैं लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कुछ मामलों में टैक्स देनदारी पर छूट भी प्रदान करता है. सेक्शन 87A के तहत वैसे लोग जिनकी सालाना आय 5 लाख रुपये है वह वर्ष 2019-20 के लिए 12500 रुपये तक टैक्स में छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं. यानी अगर आपकी सालाना आय 5 लाख रुपये तक है, आपको जीरो टैक्स देना है. 

टैक्स छूट यानी (tax exemption)

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसमें कुछ सोर्स पर टैक्स छूट पाने की सुविधा देते हैं. यानी आपको ऐसे सोर्स से होने वाले इनकम पर कोई टैक्स नहीं चुकाना है. ये टैक्स देनदारी सबसे पहले घटा दी जाती है. ऐसे सोर्स के तौर पर LTA या LTC, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रीमियम की रसीद पर सैलरी पाने वाले टैक्स पेयर फायदा ले सकते हैं. इन सोर्स पर टैक्स छूट को कुल आय में घटाया जाता है, इसके बाद जदो राशि बचती है उसे ग्रोस टोटल इनकम माना जाता है.

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टैक्स में कटौती (tax deduction)

यह इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80 के तहत आता है. इसमें निवेश और खर्च सेक्शन 80 (सी) के तहत आते हैं, जिसमें ईपीएफ, पीपीएफ और वीपीएफ, ट्यूशन फीस, म्यूचुअल फंड ईएलएसएस, एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी आदि शामिल होते हैं. इसके अलावा भी सेक्शन 80 (डी), 80 (ई) and 80 (जी) के तहत और भी कई तरह कटौती शामिल होती हैं. जब आप कटौती को ग्रोस टोटल इनकम में घटा देते हैं तो आपको अपने टैक्स देनदारी वाली आय का पता चलता है.