Income Tax New Rules 2023: इनकम टैक्‍स विभाग ने कहा कि नियोक्ताओं (एम्‍प्‍लॉयर) को कर्मचारियों (इम्‍प्‍लॉइज) से चालू वित्त वर्ष 2023-24 में उनकी पसंद के टैक्‍स सिस्‍टम (टैक्‍स रिजीम) के बारे में पूछना होगा और उसके मुताबिक स्रोत पर कर कटौती (TDS) करनी होगी.अगर कोई कर्मचारी अपने नियोक्ता को अपनी पसंद की टैक्‍स रिजीम के बारे में नहीं बताता है, तो कंपनी को बजट 2023-24 में हुए ऐलान के अंतर्गत नए कर व्यवस्था के आधार पर वेतन से टीडीएस की कटौती करनी होगी. 

CBDT जारी किया क्लियरिफिकेशन

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने चालू वित्त वर्ष में नियोक्ताओं द्वारा स्रोत पर कर कटौती के बारे में बुधवार को स्पष्टीकरण जारी किया. स्पष्टीकरण के मुताबिक, नियोक्ताओं को अपने प्रत्येक कर्मचारी से उनकी मनपसंद कर व्यवस्था के बारे में जानकारी लेनी होगी और अपनाई गई कर व्यवस्था के अनुसार टीडीएस कटौती करनी होगी. 

पर्सनल इनकम टैक्‍स पेयर्स के पास यह चुनने का विकल्प है कि वे छूट और कटौती की पेशकश करने वाली पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) में रहना चाहते हैं या नयी कर व्यवस्था (New Tax Regime) को अपनाना चाहते हैं. नयी कर व्यवस्था में कर दरें कम हैं, लेकिन कोई छूट नहीं है.

न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब

न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब सात से घटाकर छह कर दिया गया है. अब इसमें 3 लाख तक की आय टैक्सफ्री है. पुरानी टैक्स रिजीम में ढाई लाख तक की आय टैक्सफ्री होती है. 3 लाख से 6 लाख पर 5%, 6 लाख से 9 तक की आय पर 10%, 9 लाख से 12 लाख तक की आय पर 15%, 12 लाख से 15 लाख की आय पर 20%, 15 लाख से ऊपर की आय पर 30% टैक्स लगेगा.

न्यू टैक्स रिजीम में 87A के तहत एक्जेम्पशन लिमिट बढ़ा दी गई है. अब एक्जेम्पशन के साथ 7 लाख तक की आय रखने वालों को कोई टैक्स नहीं भरना होगा. अधिकतम रिबेट की सीमा 25,000 रुपये है. यानी 7 लाख तक की आय रखने वालों को बिना कोई एक्जेम्प्शन क्लेम किए बिना भी टैक्स नहीं भरना होगा. इसके अलावा, फाइनेंस बिल (Finance Bill) में संशोधन किया गया है कि 7 लाख रुपये की टैक्स फ्री इनकमट से कुछ अधिक आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों को केवल अतिरिक्त इनकम पर ही टैक्स का भुगतान करना होगा. नई टैक्स रिजीम के तहत भी 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के लाभ मिलेगा. 

ये होगी ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम

2.5 लाख तक- 0 फीसदी टैक्स

2.5 लाख से 5 लाख तक- 5 फीसदी टैक्स

5 लाख से 10 लाख तक- 20 फीसदी टैक्स

10 लाख से ऊपर- 30 फीसदी टैक्स