केंद्र सरकार टैक्‍स चोरी करने वालों (Tax Evader) पर और सख्‍त हो गई है. खासकर विदेशी बैंकों में ब्‍लैक मनी जमा करने वाले या किसी दूसरे देश में अघोषित आय से संपत्ति खरीदने वाले आयकर विभाग के राडार पर हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर भरने में चूक या गड़बड़ी के मामलों में कुछ जुर्माना या शुल्क चुकाकर उसे नियमित करने या कंपाउंडिग की प्रक्रिया के संबंधित नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इससे अब मनी लांड्रिंग, आतंक के वित्तपोषण, भ्रष्टाचार, बेनामी संपत्ति रखने और विदेशों में अघोषित संपत्ति रखने जैसे गंभीर मामलों में किसी व्यक्ति के लिए आयकर (Income Tax) चोरी को लेकर राहत पाने के सभी दरवाजे बंद हो गए हैं. ये दिशानिर्देश सोमवार यानि आज से प्रभावी हो गए हैं.

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नए दिशा-निर्देश जारी

'जी बिजनेस' ने 2 दिन पहले ही यह खबर दी थी कि 17 जून से कर चोरी के मामलों में इनकम टैक्‍स विभाग सिर्फ जुर्माना देकर राहत नहीं देगा बल्कि टैक्‍स चोरी में बाकायदा केस चलेगा. कर विभाग के नीति बनाने वाले निकाय ने ‘प्रत्यक्ष कर कानून के तहत मामलों के निपटान-2019’ को लेकर 32 पन्‍नों के संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इन दिशा-निर्देशों का क्रियान्वयन आयकर अधिनियम-1961 के तहत किया जाएगा. 

अपराध की प्रकृति देखी जाएगी

इसमें स्पष्ट है कि कर चोरी के मामलो में जुर्माना आदि चुकाकर निपटान ‘अधिकार’ का मामला नहीं है. विभाग इस तरह की राहत कुछेक मामलों तक सीमित रख सकता है. इसके लिए संबंधित व्यक्ति के व्यवहार के लिए अपराध कितना बड़ा है यह देखा जाएगा. साथ ही इसमें प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर भी गौर किया जाएगा. 

क्‍या है कंपाउंडिंग

आयकर के परिप्रेक्ष्य में कम्पाउंडिंग के तात्पर्य है कि कर अधिकारी कर चोरी करने वाले व्यक्ति से बकाया कर और अधिभार के भुगतान के बाद अभियोजन दायर नहीं करेंगे. धारा 279 (2) के तहत इस तरह के मामलों का निपटान किया जाता है.

राष्‍ट्रविरोधी गतिविधि में माफी नहीं

ताजा दिशानिर्देश कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरीके से राष्ट्रविरोधी या आतंकवादी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है या फिर संबंधित व्यक्ति धन शोधन रोधक कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय, भ्रष्टाचार रोधक कानून के तहत सीबीआई, लोकपाल या लोकायुक्त या किसी अन्य केंद्रीय और राज्य एजेंसी मसलन पुलिस की जांच के घेरे में है तो उसे आयकर चोरी के मामले में जुर्माना, शुल्क आदि का भुगतान करने से राहत नहीं मिलेगी.