Hybrid Funds: हाल ही में हमने भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में सुधार का दौर देखा है. जानकारों के मुताबिक, सुधार का यह दौर अभी खत्म नहीं हुआ है. अगर ऐसा है भी, तो बाजार जल्द ही कंसोलिडेशन के दौर में प्रवेश करेगा, यह विश्लेषण निवेशकों और व्यापारियों के लिए निश्चित रूप से अनुकूल नहीं है.

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हालांकि निवेश के लिहाज से कंसोलिडेशन एक शानदार मौका है, लेकिन खुदरा निवेशकों के लिए यह मुश्किल हो सकता है. सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, धन की कमी. ज्यादातर खुदरा निवेशक जो कामकाजी लोग होते हैं, वे घबराहट में बिक्री शुरू कर देते हैं, जो पूंजी के नुकसान का कारण बनता है. अतः हाइब्रिड फंडों में SIP के जरिए निवेश करना बाजार के उतार-चढ़ावों की परवाह किए बिना पैसा बनाने का सबसे अच्छा तरीका है. ये एसेट एलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन के लिए सर्वोत्तम है.

हाल ही में, जी बिज़नेस हिंदी (Zee Business Hindi) पर आयोजित एक वेबिनार में, विशेषज्ञों के पैनल ने हाइब्रिड फंड के जरिए पोर्टफोलियो को संतुलित करने के बारे में बात की. श्रीनिवास खानोलकर, नेशनल सेल्स हेड, बैंक एवं एनडी, मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) प्रा. लिमिटेड, उन पैनलिस्टों में से एक थे. उन्होंने हाइब्रिड फंड की प्रकृति को परिभाषित किया.

हाइब्रिड फंड क्या है?

'जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, हाइब्रिड फंड विभिन्न प्रकार के एसेट क्लास का मिश्रण होते हैं. लेकिन, एसेट क्लास को विस्तृत रूप से विश्लेषित करने से पहले हम विभिन्न प्रकार के हाइब्रिड फंडों के बारे में बात करते हैं.  श्रीनिवास के अनुसार, पहले प्रकार के हाइब्रिड फंड को मल्टी-एसेट हाइब्रिड फंड के रूप में जाना जाता है. इस तरह के फंड में, निवेश को कई तरह की संपत्तियों जैसे इक्विटी, डेट और कमोडिटी आदि में लगभग समान अनुपात में आवंटित किया जाता है.

श्रीनिवास ने आगे बताया "दूसरे प्रकार का फंड होता है, एग्रेसिव हाइब्रिड फंड. इसमें  निवेश का आवंटन इक्विटी की ओर अधिक प्रवृत्त (झुका) होता है. इसमें  लगभग 35% से 80% निवेश इक्विटी सेगमेंट में किया जाता है, जबकि बाकी को डेट में लगाया जाता है. तीसरे प्रकार के हाइब्रिड फंड को डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड के रूप में जाना जाता है, जहां फंड मैनेजर इक्विटी या डेट में पूरा 100% निवेश करने का फैसला करता है. यह सब वित्तीय मॉडल पर निर्भर करता है".

इन तीनों फंडों के अलावा, एक और प्रकार का हाइब्रिड फंड होता है, जिसे इक्विटी सेविंग फंड कहा जाता है. इस फंड में इक्विटी, डेट और आर्बिट्रेज (डेरिवेटिव मार्केट) एसेट क्लास में निवेश किया जाता है. हालांकि, एक अलग तरह का फंड और भी होता है जो मुख्य रूप से आर्बिट्राज एसेट क्लास में ही निवेश करता है, लेकिन इसे भी हाइब्रिड फंड कैटेगरी में ही गिना जाता है.

[हाइब्रिड फंड के बारे में पैनल डिस्कशन देखें]

एक अन्य पैनलिस्ट बजाज कैपिटल के मुख्य व्यवसाय अधिकारी उत्तम अग्रवाल ने बताया- 'कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंडों में कम से कम छह से 18 महीने के लिए निवेश किया जाना चाहिए. एग्रेसिव हाइब्रिड फंडों में सर्वोत्तम समय सीमा दो से तीन साल होती है. बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण बहुत कम समय में निवेश निकालने पर वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं.'

पैनलिस्टों के अनुसार, लंबी अवधि के निवेश के मामलों में एसेट का आवंटन बेहद महत्वपूर्ण है, और यह व्यक्तिगत लक्ष्य के अनुसार अलग होता है. निवेश के जरिए ज़्यादा पैसा बनाने का आदर्श तरीका होता है, इक्विटी, कमोडिटी और डेट जैसे विभिन्न एसेट क्लास में निवेश करना सही है. श्रीनिवास कहते हैं, 'बाजार की चाल के अनुसार पोर्टफोलियो की समय-समय पर समीक्षा करना, प्रॉफिट बुकिंग करना, और किसी भी एसेट क्लास में दोबारा निवेश करना हर निवेशक के लिए बहुत जरूरी है."

हाइब्रिड फंड एसेट एलोकेशन में कैसे मदद करता है?

अग्रवाल के मुताबिक, 'एसेट एलोकेशन दो तरह के होते हैं- स्टेटिक एसेट एलोकेशन और डायनेमिक एसेट एलोकेशन. एग्रेसिव हाइब्रिड फंड में फंड मैनेजर के जरिए एसेट एलोकेशन का अनुपात बनाए रखा जाता है. उदाहरण के लिए, फंड मैनेजर कुल फंड का 25% डेट में और 75% इक्विटी में निवेश करने का फैसला करता इस बात की पूरी संभावना है कि वह इस अनुपात को बनाए रखेगा.'

उत्तम अग्रवाल ने बताया 'दूसरी ओर, डायनामिक एसेट अलोकेशन में किसी निश्चित अनुपात में निवेश नहीं किया जाता, इसमें फंड मैनेजर बाजार के मापदंडों के आधार पर एसेट आवंटन की समीक्षा कर उसे संतुलित करता है. अगर नकद बाजार में लाभ ज़्यादा है, तो फंड मैनेजर डेट में निवेश को कम कर देता है और इक्विटी सेगमेंट में बढ़ा देता है. इक्विटी मार्केट में प्रॉफिट बुकिंग के बाद, यथास्थिति अनुपात तक पहुंचने के लिए फंड को डेट एसेट्स में फिर से आवंटित करता है.

[हाइब्रिड फंड के बारे में वेबिनार देखें]

आपको कौन सा हाइब्रिड फंड चुनना चाहिए?

एसेट एलोकेशन इस बात पर तय होता है कि निवेशक का उद्देश्य क्या है? जहां तक विभिन्न एसेट क्लासेस में फंड आवंटन की बात है तो सभी के लिए एक पैमाना नहीं लगाया जा सकता है. बाजार की चाल एक समान गति से नहीं होती, इसलिए हर व्यक्ति को उसके जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर पैसा डालना चाहिए.

युवा निवेशक अधिक जोखिम ले सकते हैं, और इसलिए उन्हें एग्रेसिव हाइब्रिड फंडों में निवेश करना चाहिए जो कि इक्विटी बाजार के सर्वोत्तम अवसरों को ध्यान में रख कर बनाए जाते हैं. इसके ठीक विपरीत, जोखिम से बचने वाले निवेशकों को कंज़र्वेटिव हाइब्रिड फंड चुनना चाहिए जिसमे डेट मार्केट में निवेश किया जाता हैं.

'लोगों का झुकाव डायनेमिक एसेट एलोकेशन हाइब्रिड फंडों की तरफ ज्यादा है. श्रीनिवास खानोलकर का मानना ​​है कि चूंकि इस प्रकार के फंड में बाजार से अधिकतम लाभ उठाने के लिए निवेश के तरीके को बदला जा सकता है, इसलिए यह एक स्थिर रिटर्न सुनिश्चित करता है.

हाइब्रिड फंड में कर निर्धारण (टेक्सेशन)

हाइब्रिड फंड में कर निर्धारण के नियम अन्य निवेशों पर लगाए गए कर निर्धारण के अनुसार ही होते हैं. एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स से होने वाले लाभ पर इक्विटी टैक्सेशन स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है, जबकि कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स पर डेट टैक्सेशन स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.

इसे बेहतर ढंग से समझते हैं. निवेशकों को इक्विटी मार्केट में  लंबी अवधि (एक वर्ष से अधिक) के लाभ पर 10% और अल्पकालिक लाभ पर 15% कर का भुगतान करना होगा. हालांकि, 1 लाख रुपये तक की टैक्स छूट है. एग्रेसिव हाइब्रिड फंड से मिलने वाले लाभ पर भी यही नियम लागू होता है.

वहीं, दूसरी तरफ, डेट फंड से अर्जित लंबी अवधि (3 वर्ष से अधिक) के ब्याज पर 20% दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लगाया जाता है. अगर कोई डेट फंड में दो साल से कम समय तक पैसा निवेश करे रहता है, तो इस अवधि के दौरान अर्जित ब्याज को अन्य स्रोतों से आय माना जाएगा. इसे निवेशक की प्रति वर्ष आय में जोड़ा जाएगा और आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा.

[हाइब्रिड फंड के बारे में पैनल डिस्कशन देखें]

डिस्क्लेमर: मिराए एसेट म्यूचुअल फंड द्वारा एक निवेशक की शिक्षा और जागरूकता के लिए की गई पहल

म्यूचुअल फंड के सभी निवेशकों को एक बार KYC (अपने ग्राहक को जानें) की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. निवेशकों को केवल पंजीकृत म्युचुअल फंड (RMF)में ही व्यवहार करना चाहिए. KYC, RMF और किसी भी शिकायत के मामले में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप मिराए एसेट म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर उपलब्ध नॉलेज सेंटर सेक्शन को देख सकते हैं.

म्यूचुअल फंड निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन हैं, योजना से संबंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.

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