क्रेडिट कार्ड (Credit Card Tips) का इस्तेमाल आज के वक्त में बहुत अधिक बढ़ चुका है. सिर्फ शहर ही नहीं, अब तो गांव तक में बहुत से लोग क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल (How To Use Credit Card) करने लगे हैं. वहीं आए दिन अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसी वेबसाइट पर बड़ी-बड़ी सेल लगती रहती हैं, जहां पर क्रेडिट कार्ड से जुड़े बहुत सारे ऑफर भी आते हैं. कोई क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग पर डिस्काउंट देता है तो कोई ईएमआई पर सामान खरीदने का ऑफर देता है. ईएमआई की मदद से व्यक्ति 50 हजार का सामान सिर्फ 2-3 हजार रुपये की ईएमआई पर भी खरीद सकता है. यानी हर महीने उसे सिर्फ 2-3 हजार रुपये देने होंगे. सुनने में ये ऑफर वाकई काफी आकर्षक लगता है और यही वजह है कि बहुत सारे लोग ईएमआई पर सामान खरीदते भी हैं. हालांकि, देखते ही देखते कब अधिकतर लोग ईएमआई के मायाजाल में फंस (Credit Card Debt Trap) जाते हैं, उन्हें पता भी नहीं चलता. आइए जानते हैं कैसे मजा लगने वाला ये फीचर सजा बन जाता है. 

क्रेडिट कार्ड के फायदों में छुपा है तगड़ा नुकसान!

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बेशक क्रेडिट कार्ड से खरीदारी पर आपको अतिरिक्त डिस्काउंट मिलता है, ईएमआई की सुविधा मिलती है, पैसे चुकाने के लिए कुछ दिन का वक्त मिलता है, लेकिन इतने फायदे के बावजूद इसके कुछ नुकसान भी हैं. ध्यान रहे कि क्रेडिट कार्ड एक तरह का लोन ही है, तो इसका उतना ही इस्तेमाल करें, जितना चुका पाने की आपकी हैसियत है, वरना भारी-भरकम ब्याज का बोझ आपकी जेब खाली कर सकता है. 

कैसे लोग फंसते हैं क्रेडिट कार्ड के ईएमआई वाले जाल में?

आपने वो कहावत तो सुनी होगी कि पैर उतने ही फैलाने चाहिए जितनी बड़ी चादर हो. क्रेडिट कार्ड के जाल में वो लोग फंसते हैं जिन्हें चादर से ज्यादा पैर फैलाना अच्छा लगता है. यानी जो लोग अपनी आमदनी से ज्यादा पैसे खर्च करते हैं, वह क्रेडिट कार्ड के जाल में फंसते ही हैं. क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करते वक्त अक्सर लोग ये नहीं देखते कि वह कितने पैसे खर्च कर चुके हैं. वहीं कई बार लोग सिर्फ 2-3 हजार की ईएमआई देखकर कई सारे सामान खरीद लेते हैं. नतीजा ये होता है कि हर महीने कई सारी चीजों की ईएमआई जुड़ते-जुड़ते इतनी ज्यादा हो जाती है कि रोजमर्रा के खर्चों पर असर पड़ने लगता है. कई बार हालत ये हो जाती है कि हर महीने सिर्फ ईएमआई में ही बहुत सारे पैसे चले जाते हैं. यहां तक कि कुछ लोगों को तो इन ईएमआई को चुकाने के लिए लोन तक लेना पड़ जाता है.

एक उदाहरण से समझते हैं ये सारा खेल

मान लीजिए जनवरी में आपने 60 हजार रुपये का एक मोबाइल 12 महीनों की नो कॉस्ट ईएमआई पर खरीदा. इस तरह आपको हर महीने सिर्फ 5 हजार रुपये ही चुकाने हैं और पहले ही महीने से आपके हाथ में महंगा वाला मोबाइल होगा. अगले महीने आपने 30 हजार का एक रेफ्रीजरेटर भी नो कॉस्ट ईएमआई पर ले लिया और उसकी किस्तें बनीं 2,500 रुपये प्रति महीने की. मार्च में होली के मौके पर आपने घर के 1 लाख के फर्नीचर भी ईएमआई पर खरीद लिए. इसकी ईएमआई करीब 8333 रुपये की बनी. इस तरह सिर्फ 3 महीने बाद ही आपकी कमाई से करीब 15,800 रुपये सिर्फ ईएमआई में जाने लगेंगे.

और फिर आप बैंक के सामने बेबस होने लगेंगे

तमाम ईएमआई हर महीने कटेंगी और अगर बीच में आपने फिर कुछ खरीद लिया तो उसकी ईएमआई अलग से चुकानी होगी. वहीं घर का किराया या ईएमआई, बच्चों के स्कूल की फीस, राशन-सब्जी और दूध-ब्रेड का खर्चा, बिजली का बिल, मोबाइल-इंटरनेट का बिल, जब ये सब भी चुकाना होगा तो पता चलेगा कि आपके हाथ में कुछ बच ही नहीं रहा. हो सकता है कि आपके खर्चे आपकी कमाई से ज्यादा हो जाएं. अगर इस बीच कोई मेडिकल इमरजेंसी आई या कोई और दिक्कत हुई तो आपको बैंक के सामने हाथ फैलाने पड़ सकते हैं. यही होता है क्रेडिट कार्ड की ईएमआई का मायाजाल, जिसमें बड़े-बड़े लोग फंस जाते हैं.