हाल ही में अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने फेस्टिव सीजन की सेल (SALE) का आयोजन किया था. Flipkart के 8-15 अक्टूबर तक चले The Big Billion Days सेल में करीब 1.4 अरब ग्राहकों प्लेटफॉर्म को विजिट किया. पिछले साल के मुकाबले कंपनी की प्लस मेंबरशिप में 60 फीसदी का उछाल देखने को मिला. वहीं Amazon की Great Indian Festival में पहले 48 घंटों में ही करीब 9.5 करोड़ ग्राहक प्लेटफॉर्म पर जा पहुंचे. शुरुआती 24 घंटों में प्राइम मेंबर्स ने 18 गुना अधिक शॉपिंग की. अभी भी ये सेल जारी ही है. इन सेल में एक बड़ी दिक्कत वाली बात ये होती है कि अधिकतर लोग इनमें जरूरत से ज्यादा शॉपिंग कर लेते हैं. इसकी वजह से उनका बजट बिगड़ जाता है. अब सवाल ये है कि आखिर लोग ज्यादा शॉपिंग क्यों करते हैं? वो क्या तरीके हैं, जिनसे आप ओवरस्पेंडिंग रोक सकते (How To Avoid Overspending) हैं? आइए जानते हैं इनके बारे में.

ज्यादा शॉपिंग क्यों करते हैं लोग?

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SALE... ये सिर्फ चार लेटर का एक शब्द नहीं है, बल्कि फेस्टिव सीजन के वक्त यह एक जुजून में तब्दील हो जाता है. सेल का नाम सुनते ही लोगों के मन में ये चलने लगता है कि वह खूब सारी शॉपिंग करेंगे. लेकिन सवाल ये है कि आखिर वह इतनी ज्यादा शॉपिंग करते क्यों हैं?

इसकी सबसे बड़ी वजह है FOMO इफेक्ट. इसके तहत लोगों को लगता है कि वह अपने साथ के लोगों से पीछे रह जाएंगे. सेल में सारे लोग तमाम तरह की चीजें खरीद लेंगे, लेकिन वह नहीं खरीद पाएंगे. तो अधिकतर लोग तो फीयर ऑफ मिसिंग आउट के चलते ही सेल से कुछ ना कुछ खरीद लेते हैं.

इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि सेल में जो ईएमआई ऑफर, डिस्काउंट, कैशबैक या डील मिलती हैं, वह बहुत ही लुभावनी होती हैं. इन्हें देखते ही लोगों को लगता है कि अगर ये डील हाथ से निकल गई तो शायद वह आगे पैसों की बचत नहीं कर पाएंगे और महंगा सामान खरीदना पड़ेगा. ऐसे में अक्सर लोग वो सामान भी खरीद लेते हैं, जिनकी उन्हें तुरंत कोई जरूरत नहीं होती. उदाहरण के लिए अगर सेल में 20 किलो सर्फ का पैकेट काफी सस्ते दाम में मिलता है तो भले ही किसी के घर में हर महीने 2-3 किलो सर्फ खर्च होता हो, लेकिन वह 20 किलो का पैकेट खरीदने की सोचने लगता है, क्योंकि इससे उसके काफी पैसे बचेंगे.

विज्ञापनों की वजह से लोगों को दिमाग सेल से तमाम सामान खरीदने के लिए तैयार किया जाता है. टीवी से लेकर प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया तक पर सेल के विज्ञापन इस तरह दिखाए जाते हैं, जिसे देखकर लगता है कि हर कोई इस सेल से शॉपिंग कर रहा है. ऐसे में जो शॉपिंग नहीं भी कर रहे होते हैं, वह भी कुछ ना कुछ खरीद लेते हैं. 

सेल में बहुत सारे लोग सिर्फ ये सोचकर घुस जाते हैं कि क्या-क्या डील चल रही हैं. ऐसे में उन्हें एक से बढ़कर एक डील दिखने लगती हैं. इसके बाद जिसे एक-दो चीजें खरीदनी होती हैं, वो भी बहुत सारी शॉपिंग कर लेता है.

बचत करने के लिए खर्च करने पड़ते हैं पैसे

सेल में होता ये है कि लोग बचत करने के लिए पैसे खर्च करते हैं. उन्हें लगता है कि सस्ते में चीजें मिल रही हैं, तो वह एक के बाद एक चीज खरीदते चलते जाते हैं. कई सारी चीजों तो नो कॉस्ट ईएमआई पर खरीद ली जाती हैं. हालांकि, इन सब की वजह से आपका बजट बिगड़ जाता है. आपका अचानक से काफी पैसा खर्च हो जाता है.

सेल में फालतू खर्चा करने से कैसे बचें?

अगर आप सेल में फालतू खर्च करने से बचना चाहते हैं तो आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा. आइए जानते हैं इनके बारे में.

सामान की एक लिस्ट बनाएं

अगर आप भी सेल में शॉपिंग करना चाहते हैं तो पहले ये तय कर लें कि आपको सेल से क्या खरीदना है. आपको जो भी सामान सेल से खरीदने हैं, उनकी एक लिस्ट बनाकर तैयार रखें. जब सेल से शॉपिंग करें तो अपनी उस लिस्ट पर टिके रहें और उससे ज्यादा सामान ना खरीदें.

बजट पहले से तय रखें

सेल में शॉपिंग का बजट भी आपको पहले से तय कर लेना चाहिए. शॉपिंग करते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि आप अपने बजट से अधिक खर्च ना करें. अगर आप बजट से अधिक खर्च करेंगे तो उसका हर्जाना आपको आने वाले महीनों के बजट में बदलाव कर के चुकाना होगा. यानी सेल की वजह से आपके कई महीनों के बजट हिल सकते हैं.

सेल से पहले कीमतें चेक करें

किसी भी सेल में शॉपिंग करने से पहले ही उन चीजों पर रिसर्च करनी शुरू कर देनी चाहिए. इससे होगा ये कि आप उस प्रोडक्ट की सही कीमत समझ पाएंगे. कई बार सेल में प्रोडक्ट की कीमत अधिक दिखा दी जाती है और फिर उस पर भारी डिस्काउंट दिखाकर ग्राहकों को बेवकूफ बनाने की कोशिश होती है. अगर आपको प्रोडक्ट की सही कीमत पहले से ही पता होगी तो आप सेल में शॉपिंग के दौरान समझ जाएंगे कि आपको असल में फायदा हो रहा है या नहीं.

नो कॉस्ट ईएमआई से दूर रहें

सेल के दौरान सबसे आकर्षक फीचर होता है नो कॉस्ट ईएमआई. यानी भले ही आप 24 हजार रुपये का मोबाइल खरीद रहे हैं, लेकिन साल भर की नो कॉस्ट ईएमआई बनाने पर हर महीने आपको सिर्फ 2 हजार रुपये खर्च करने होंगे. ऐसे में तुरंत होने वाला खर्च बहुत कम दिखता है, जिसके चलते लोग जरूरत से ज्यादा चीजें खरीद लेते हैं. बाद में उन्हें अहसास होता है कि हर महीने सिर्फ ईएमआई में ही बहुत सारा पैसा कट जा रहा है और ये सिलसिला कई महीनों तक जारी रहेगा.