कार रखना आपका शौक हो सकता है या फिर आपकी जरूरत. अगर आपने नई कार खरीदी है या पुरानी मोटर इंश्‍योरेंस पॉलिसी रिन्‍यू करवाई है तो समझ ही गए होंगे कि प्रीमियम सस्‍ता पड़ा है या महंगा. मोटर इंश्‍योरेंस सबसे ज्‍यादा सरल है. मार्केट में विभिन्‍न जनरल इंश्‍योरेंस कंपनियों की तमाम तरह की पॉलिसियां उपलब्‍ध हैं. आज हम आपको बताएंगे कि मोटर इंश्‍योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम का बोझ आप किस प्रकार घटा सकते हैं. आपको यह बात आश्‍चर्यजनक भले लगे लेकिन अगर आप चाहें तो अपने मोटर इंश्योरेंस के प्रीमियम का बोझ कम कर सकते हैं.

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मोटर इंश्‍योरेंस पॉलिसी को ऐसे समझे

मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में दो हिस्से होते हैं- पहला ओन डैमेज कवर. इसमें पॉलिसीधारक के व्‍हीकल को होने वाले नुकसान को कवर किया जाता है. पर यह ऑप्‍श्‍नल होता है. दूसरा है थर्ड पार्टी लाइबिलिटी कवर. ये पॉलिसियां अलग-अलग भी ली जा सकती हैं या फिर कॉम्प्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी ली जा सकती है. मोटर वाहन कानून के मुताबिक सभी व्‍हीकल्‍स के लिए अनिवार्य रूप से थर्ड पार्टी लाइबिलिटी कवर होना चाहिए.

प्रीमियम कम कराने के ये हैं तरीके

कार इंश्योरेंस के प्रीमियम में बढ़ोतरी से कार मालिकों को परेशान होने की ज्यादा जरूरत नहीं है. आपके सामने अब भी कई विकल्प हैं जिसके जरिये आप अपने कार इंश्योरेंस का प्रीमियम कर सकते हैं. इसकी वजह से आप अपने मोटर इंश्योरेंस में कई अतिरिक्त कवर/ एड-ऑन जोड़ कर कम से कम पैसों में ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा ले सकते हैं.

इंश्‍योरेंस कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा जानकारियां दें

आजकल बीमा कंपनियां व्‍हीकल पर जोखिम का पता लगाने के लिए कई मानकों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में आपको अपने वाहन के बारे में अधिकतम जानकारी देनी चाहिए. उदाहरण के तौर पर वाहन के मॉडल, मेक, फ्यूल, गाड़ी कितनी पुरानी है, कितने किलोमीटर चली है और कहां पार्क की जाती है यह सब जानकारियां शामिल हैं. बीमा कंपनी को इन सब के बारे में बताना जरूरी है. इसके अलावा आप अपने बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराइए जिसमें आपका पेशा, उम्र और शिक्षा शामिल है. इससे वाहन के लिए इंश्योरेंस  प्रीमियम की उपयुक्त रकम तक पहुंचने में मदद मिलेगी. जो लोग इस बारे मे बीमा कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी उपलब्ध कराते हैं उन्हें कम प्रीमियम का फायदा मिल जाता है.

समय पर करवा लें इंश्योरेंस पॉलिसी का रिन्यूअल

अगर आप अपने इंश्योरेंस प्रीमियम का समय पर भुगतान करते हैं तो इससे आपका प्रीमियम नो क्लेम बोनस (एनसीबी) की मदद से घटेगा. साथ ही यह आश्वस्त करता है कि आप सभी दुर्घटनाओं के लिए कवर्ड रहें. इंश्योरेंस रिन्यू कराते वक्त आप अपनी कार की इंश्योरेंस वैल्यू या फिर इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (IDV) चेक कर पाएंगे. प्रीमियम को कम करने के लिए यह बहुत ही जरूरी मानक होता है. IDV के जरिए ही आपको इंश्योरेंस कराते वक्त अपनी कार की रीसेल वैल्यू का पता चलेगा.

एंटी-थेफ्ट डिवाइस लगवाएं

सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम या अलार्म जैसे एंटी-थेफ्ट डिवाइस को अपने व्‍हीकल में इंस्टॉल करवाने से आपको बीमा कंपनियां मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी के ओन-डैमेज प्रीमियम पर 2.5 फीसदी तक की छूट दे सकती हैं. यह छूट अधिकतम 500 रुपये तक हो सकती है. पर ध्यान रहे कि यह डिवाइस ऑटोमोबाइल रिसर्च एसोशिएशन ऑफ इंडिया द्वारा अप्रूव्ड हों.

नो-क्लेम बोनस

छोटी रकम का क्लेम करने से बचिए. इससे आपका नो-क्लेम बोनस बचा रहेगा. यदि साल के दौरान आपने कोई क्लेम नहीं किया है तो पॉलिसी रिन्यू कराने के समय बीमा कंपनी आपको नो-क्लेम बोनस यानी NCB देती है. यह प्रीमियम का 20-50 फीसदी तक तक हो सकता है. यह वाहन के प्रकार और उन सालों की संख्या पर निर्भर होता है जब कोई क्लेम नहीं किया गया. यह पॉलिसी लेने के दूसरे साल से 20 फीसदी से लागू होता है और पाचवें साल में बढ़ कर 50 फीसदी तक जा सकता है.

NCB करवाएं ट्रांसफर

अगर साल के दौरान आपने कोई क्लेम नहीं किया है इससे आपका नो-क्लेम बोनस बचा है और आप अपनी कार बेच कर नई कार खरीदना चाहते हैं तो आप बिक्री के दौरान इस एनसीबी को अपनी नये कार पर ट्रांसफर भी करवा सकते हैं.

ऑटो संगठनों की सदस्यता

यदि आप ऑटोमोबाइल एसोशिएशन ऑफ इंडिया या वेस्टर्न इंडिया ऑटोमोबाइल एसोशिएसन जैसे किसी एप्रूव्ड ऑटोमोबाइल संगठन के सदस्य हैं तो बीमा कंपनियों से आप अपनी  कार इंश्योरेंस के प्रीमियम में 5 फीसदी की छूट-अधिकतम 200 रुपये तक प्राप्त कर सकते हैं.