कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के कर्मचारियों की न्यूनतम मासिक पेंशन (Pension) को दोगुना कर 2,000 रुपये करने पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. लेबर मिनिस्‍टर संतोष कुमार गंगवार ने लोकसभा में कहा कि मिनिमम पेंशन बढ़ाने से सरकारी खजाने पर काफी बोझ पड़ेगा. इससे सरकारी खर्च बढ़कर 5955 करोड़ रुपए हो गया था. हालांकि इससे करीब 39.72 लाख पेंशनरों को फायदा होगा. आपको बता दें कि EPS पेंशनर को अभी 1000 रुपए महीना पेंशन मिल रही है.

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गौरतलब है कि EPFO मार्च में होने वाली बैठक में मिनिमम पेंशन बढ़ाने पर फैसला ले सकता है. कर्मचारी भविष्य निधि के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन (मूल वेतन जोड़ महंगाई भत्ता) का 12 प्रतिशत PF में जाता है. इतना योगदान कंपनी भी करती है. लेकिन कंपनी के 12 प्रतिशत योगदान में से 8.33 प्रतिशत EPS में जाता है. इसके अलावा केंद्र सरकार भी इसमें मूल वेतन का 1.16 प्रतिशत का योगदान देती है.

EPFO के न्यासी पीजे बान्सुरे के मुताबिक न्यूनतम मासिक पेंशन को दोगुना कर 2,000 रुपये करने का फैसला मार्च में होने वाली बैठक तक टल गया है. प्रस्ताव है कि मिनिमम पेंशन को दोगुना करने से 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त जरूरत होगी. इस पर फैसला फाइनेंस मिनिस्‍ट्री से मंजूरी मिलने के बाद ही लिया जा सकता है.

भारतीय मजदूर संघ (BMS) के महासचिव ब्रजेश उपाध्याय ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए एक न्यूनतम पेंशन होनी चाहिए. ऐसे में हमने EPFO अंशधारकों के लिए 3,000 रुपये की मासिक पेंशन की मांग की है.

बता इें कि EPFO दो तरह की पेंशन स्कीम चलाता है. EPS 1952 और EPS 95, जिसमें 60 लाख पेंशनर हैं. इनमें करीब 40 लाख को 1500 रुपये से कम की मासिक पेंशन मिलती है. वहीं 18 लाख लोगों को 1 हजार रुपये से कम पेंशन मिलती है.

सरकार के पास पेंशन फंड में 3 लाख करोड़ रुपये हैं, जिसमें से 9 हजार करोड़ रुपये सालाना EPS के तहत खर्च होते हैं. पेंशनधारकों ने सरकार पर दबाव बनाया हुआ है कि पेंशन को कम से कम 3 हजार रुपये से 7500 रुपये के बीच कर दिया जाए.