केंद्र सरकार ने तीन महीने के लिए प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) में कंट्रीब्यूशन को कम कर दिया है. अब कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ही 12 फीसदी की जगह 10-10 फीसदी कंट्रीब्यूशन जमा करेंगे. इससे नौकरीपेशा के हाथ में ज्यादा सैलरी आएगी. सरकार के इस फैसले के बाद कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को ई-मेल भेजना शुरू कर दिया है. यह ई-मेल आपके PF कंट्रीब्यूशन से जुड़ा है. इस ई-मेल के बाद अब कर्मचारियों में कन्फ्यूजन है कि आगे क्या करना है या क्या करना चाहिए.

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क्या आया है मेल?

कंपनियों की तरफ से भेजे जा रहे इस ईमेल में EPF (Employee provident Fund) कंट्रीब्‍यूशन कम करने की जानकारी दी गई है. लेबर मिनिस्ट्री की तरफ से जारी निर्देश के बाद कंपनियों ने अपना कंट्रीब्यूशन 12 से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है. बाकी का बचा 2 फीसदी हिस्सा आपकी सैलरी में जुड़कर आए जाएगा. वहीं, कर्मचारी के पीएफ कंट्रीब्यूशन को भी 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया गया है. बाकी का बचा 2 फीसदी हिस्सा सैलरी में जुड़कर आएगा. हालांकि, कर्मचारियों के पास अपने 2 फीसदी हिस्से को कम न करने का ऑप्शन होगा. 

क्या है कन्फ्यूजन?

कर्मचारियों को मई, जून, जुलाई के लिए VPF (Voluntary Provident Fund) का विकल्प दिया गया है. इस विकल्प को चुनकर कर्मचारी अपने 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन को जारी रख सकते हैं. हालांकि, कंपनी का कंट्रीब्यूशन अगले तीन महीने के लिए 10 फीसदी ही रहेगा. कर्मचारियों में इसे लेकर कन्फ्यूजन है कि उन्हें कौन सा ऑप्शन चुनना चाहिए.

क्‍या है नया नियम?

EPF के नए नियम के मुताबिक, PF योगदान को 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. केंद्र सरकार का कहना है कि इससे कर्मचारियों की टेक होम सैलरी 2 फीसदी तक बढ़ जाएगा. साथ ही कंपनी को भी इसका फायदा मिलेगा. कुल मिलाकर दोनों को करीब 6750 करोड़ रुपए की नकदी मिलेगी. मतलब अगर कर्मचारी अपने PF योगदान को कम करता है तो मई, जून और जुलाई में उसकी सैलरी बढ़कर आएगी.

अगर नहीं चुना ऑप्शन तो क्या?

अगर कोई एम्प्लॉई ई-मेल में VPF ऑप्शन को नहीं चुनता है तो 10-10 फीसदी कंट्रीब्‍यूशन ही PF खाते में जमा किया जाएगा. हालांकि, यह सिर्फ तीन महीनों के लिए ही होगा. इसके बाद फिर से पुरानी व्यवस्था (12 फीसदी कंट्रीब्यूशन) लागू हो जाएगी. बता दें एम्प्लॉई की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा प्रोविडेंट खाते में जमा होता है. 12 फीसदी हिस्सा आपकी कंपनी की तरफ से भी जमा होता है. इसमें 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जमा होता है. बाकी 3.67 फीसदी कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में जमा होता है.

लग सकता है टैक्‍स

प्रोविडेंट फंड पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत छूट मिलती है. लेकिन, EPF कंट्रीब्यूशन कम होने और टेक होम सैलरी के बढ़ने का असर कुछ लोगों पर पड़ सकता है. कुल कमाई बढ़ने पर वह इनकम टैक्स के दायरे में आ सकते हैं. हालांकि, टैक्स के दायरे में आने वाले ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. टैक्‍स सेविंग के लिए पीएफ कंट्रीब्‍यूशन को बढ़ाया भी जाता है. जिसे VPF कहते हैं.

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बचत पर कैंची

मई, जनू और जुलाई में भले ही आपकी सैलरी में इजाफा होगा. लेकिन, कुल मिलाकर आपकी बचत पर कैंची भी चलेगी. पीएफ खाते में जमा होने वाली रकम कम होगी, साथ ही तीन महीने के ब्याज का भी नुकसान उठाना होगा. सीधे शब्दों में कहें तो फंड कम होने पर ब्‍याज के तौर पर मिलने वाला मुनाफा भी कम हो जाएगा.