ओडिशा और देश के कुछ तटीय इलाकों में आए चक्रवाती तूफान 'फोनी' से इस बार जन हानि तो नहीं हुई, लेकिन बड़े पैमाने पर निजी तथा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. 

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तूफान से जानमाल का कितना नुकसान हुआ है, इसके सटीक आकलन में तो अभी कुछ वक्त लगेगा लेकिन, इंश्योरेंस कंपनियां इन इलाकों में हेल्पलाइन के जरिए पॉलिसीधारकों को क्लेम के लिए मदद कर रही हैं. इस तरह के तूफान के बाद इंश्योरेंस की डिमांड में भी इजाफा होता है और कोस्टल इलाकों समेत देश के कई हिस्सों के लोग इंश्योरेंस कवर लेते हैं, ताकि प्राकृतिक आपदा से होने वाले संपत्ति के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई की जा सके.

ऐसे समय में जनरल बीमा के महत्व पर ज़ी न्यूज़ ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक तथा सीईओ राकेश जैन से बातचीत की.

तूफान के बाद बढ़ी इंश्योरेंस की मांग

राकेश जैन ने बताया कि ओडिशा समेत अन्य राज्यों के तटवर्ती इलाकों में आए फोनी चक्रवात के बाद जनरल इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. खासकर तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों में बीमा को लेकर जागरुकता बढ़ी है.

 

उन्होंने बताया कि घर, हेल्थ और मोटर बीमा की मांग में एकाएक इजाफा हुआ है. तूफान के बाद कुछ महीनों तक जनरल इंश्योरेंस की मांग ज्यादा रहती है. क्योंकि तूफान प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोग जान चुके हैं कि हर साल तूफान का असर जरूर होता है और तूफान के कारण बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान होता है. इस नुकसान की भरपाई बीमा से की जा सकती है.

बीमा कंपनियां भी लाती हैं नए प्रोडेक्ट

राकेश जैन ने बताया कि ऐसा नहीं कि केवल लोगों में बीमा की मांग बढ़ती है, बल्कि इस तरह की घटनाएं बीमा कंपनियों के लिए एक स्टडी होती है. कुदरती आपदाओं से होने वाले तरह-तरह के नुकसान को देखते हुए बीमा कंपनियां नए-नए प्रोडक्ट्स बाजार में लॉन्च करती हैं.

होम इंश्योरेंस की ज्यादा मांग

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के एमडी राकेश जैन बताते हैं कि तटवर्ती इलाकों में घर के बीमा को लेकर लोग ज्यादा जागरुकर हो रहे हैं क्योंकि तूफान से घरों तथा इमारतों को ज्यादा नुकसान होता है. ज्यादा प्रभावित इलाकों में लोग अपने जरूरत के सामान के साथ पलायन कर जाते हैं, लेकिन घर आदि का कुछ नहीं किया जा सकता, इसलिए तूफान से घर या अन्य इमारतों को ज्यादा नुकसान होता है. इसलिए तटवर्ती इलाकों में लोग अपने घर, दुकान, स्कूल और अस्पताल के भवन का बीमा ज्यादा करवाते हैं.

उन्होंने बताया कि अभी भारत में होम इंश्योरेंस का चलन बहुत कम है. कुल साधारण बीमा में होम इंश्योरेंस की हिस्सा महज 3 फीसदी है. होम इंश्योरेंस में बीमा कंपनियां सिर्फ निर्माण की लागत को कवर करती हैं, जमीन की कीमत को नहीं. क्योंकि जमीन तो वहीं रहती है, उसे नुकसान नहीं होता. नुकसान जमीन पर खड़ी इमारत को होता है. इसलिए इमारत का बीमा किया जाता है. और होम इंश्योरेंस का प्रीमियम भी अन्य पॉलिसियों के मुकाबले काफी कम होता है.