Crorepati calculator: न्यू वेज कोड (New wage code) की चर्चा शांत हो गई है. वजह है इसे लागू करने में देरी. खैर देर सवेर लागू तो होगा ही. अभी तक कई राज्यों ने इस पर मंजूरी नहीं दी है, इसलिए मामला अटका है. अब साल 2024 के चुनाव के बाद ही इसमें कुछ होने की संभावना है. लेकिन, न्यू वेज कोड की बात आते ही सैलरी की बात होती है. क्योंकि, इसमें संभावित स्ट्रक्चर ही कुछ ऐसा है. Cost to Company (CTC) के मामले में कहा गया कि Take Home Salary, EPF और Gratuity में बड़ा बदलाव आएगा. Cash in Hand घटेगा, लेकिन बुढ़ापा सिक्‍योर होगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो मंथली सैलरी घटेगी लेकिन EPF में कटौती ज्‍यादा होगी और इससे रिटायरमेंट के लिए बड़ा कॉर्पस तैयार होगा.

EPF का पैसा बनाएगा करोड़पति

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मौजूदा व्यवस्था में देखें तो अगर किसी की मंथली सैलरी 50 हजार रुपए है और बेसिक पे 15 हजार रुपए होगी. अगर 30 की उम्र में आप अपने EPF अमाउंट को चेक करें तो रिटायरमेंट पर कुल निवेश होगा 51 लाख 32 हजार रुपए, वहीं इस पर कमाया गया ब्याज होगा 71 लाख 23 हजार रुपए और आपकी कुल जमा राशि होगा 1 करोड़ 29 लाख रुपए. नीचे कैलकुलेशन देखें. यहां हमने हर साल सालाना 10 फीसदी का सैलरी इंक्रीमेंट जोड़ा है. 

 

New Wage Code में 50,000 हजार रुपए कमाने वाले की बेसिक सैलरी 25,000 रुपए महीना होगी. तब रिटायरमेंट पर EPF की रकम ऐसे कैलकुलेट होगी. सालाना इंक्रीमेंट 10 फीसदी रहेगा, निवेश बढ़कर 85 लाख 53 हजार रुपए हो जाएगा. वहीं, ब्याज से कमाई 1 करोड़ 29 लाख रुपए होगी. मैच्योरिटी अमाउंट यानि 60 की उम्र में मिलने वाला पैसा होगा 2 करोड़ 14 लाख रुपए से ज्यादा. इस तरह आपका EPF का पैसा आपको 2 करोड़ रुपए दिला सकता है. यहां कम्पाउंडिंग का फॉर्मूला ही काम आएगा.

कॉस्‍ट टू कम्‍पनी (Cost to Company) क्‍या है?

किसी कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारी पर किया जाने वाला खर्च CTC होता है. यह कर्मचारी का पूरा सैलरी पैकेज होता है. CTC में मंथली बेसिक पे, भत्‍ते, रीइम्‍बर्समेंट शामिल होता है. वहीं, सालाना आधार पर ग्रेच्‍युटी, एनुअल वैरिएबल पे, एनुअल बोनस जैसे प्रोडक्ट शामिल होते हैं. CTC की रकम कर्मचारी की टेक होम सैलरी के बराबर कभी नहीं होती. CTC में कई कंपोनेंट होते हैं इसलिए यह अलग होती है. CTC = ग्रॉस सैलरी + PF + ग्रेच्‍युटी

बेसिक सैलरी को समझें

बेसिक सैलरी किसी कर्मचारी की बेस इनकम होती है. सभी कर्मचारियों के लेवल के आधार पर यह फिक्‍स होती है. यह कर्मचारी के पद और जिस उद्योग में वह काम कर रहा है उसके अनुसार होती है.

ग्रॉस सैलरी को समझें

बिना टैक्‍स काटे जो बेसिक पे और भत्‍तों को जोड़कर सैलरी बनती उसे ग्रॉस सैलरी कहते हैं. इसमें बोनस, ओवर टाइम पे, हॉलिडे पे और अन्‍य मद के भत्‍ते शामिल होते हैं.

Gross Salary = बेसिक सैलरी+HRA+अन्‍य भत्‍ते

नेट सैलरी को समझें

नेट सैलरी को टेक होम सैलरी भी कहते हैं. टैक्‍स कटने के बाद जो सैलरी बनती है उसे नेट इनकम कहते हैं.

Net Salary = Basic Salary + HRA + भत्‍ते - आयकर - EPF - Professional Tax

सैलरी में कितने भत्ते होते हैं?

कंपनी कर्मचारी को नौकरी की एवज में भत्ते देती है. यह हर कंपनी में अलग-अलग हो सकता है.

> HRA : हाउस रेंट अलाउंस कर्मचारी को रेंट पर घर के एवज में दिया जाता है.

> LTA : LTA कर्मचारी को घरेलू यात्रा पर दिए जाने वाला खर्च है. इसमें फूडिंग, होटल किराया शामिल नहीं होता.

> Conveyance allowance: कनवेंस अलाउंस कर्मचारी को दफ्तर से घर जाने में आने वाले खर्च के एवज में दिया जाता है.

> Dearness allowance: DA जीविका से जुड़ा भत्ता है. यह महंगाई की एवज में दिया जाता है. इसके पात्र सरकारी कर्मचारी और पेंशनर होते हैं.

> अन्‍य भत्तों में स्‍पेशल अलाउंस, मेडिकल अलाउंस और प्रोत्‍साहन या इंसेटिव शामिल होता है.

रिइम्बर्समेंट का क्या है नियम?

EPF Calculator: जानकारों के मुताबिक, कई कंपनियों में कर्मचारी को इलाज, फोन खर्च, न्‍यूजपेपर बिल को रीइम्‍बर्स करने का प्रावधान होता है. यह रकम सैलरी से अलग मिलती है. लेकिन बिल देने पर ही. आयकर अधिनियम के तहत हर रीइम्‍बर्समेंट में एक सीमा तक ही कर छूट है.

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