अभी हाल ही में सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को दिवाली का गिफ्ट देते हुए उनके महंगाई भत्ते में 5 फीसदी का इजाफा किया था. केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अब 12 फीसदी की जगह 17 फीसदी का महंगाई भत्ता यानी डियरनेस अलाउंस (Dearness Allowance) मिलेगा. सरकार के इस फैसले से करीब 1.1 करोड़ सरकारी कर्मचारियों के खाते में 6 हजार करोड़ रुपये आएंगे. 

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महंगाई भत्ते (DA) पर सरकार के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी है. लेकिन यह महंगाई भत्ता होता क्या है और इसकी गणना कैसे की जाती है. इसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होती है. जैसे महंगाई भत्ते के तौर पर मिलने वाले पैसे पर इनकम टैक्स की छूट नहीं होती है.

हर 6 महीने में बदलाव

डियरनेस अलाउंस कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. यह भत्ता सरकारी कर्मचारियों, पेंशनधारकों और पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को दिया जाता है. महंगाई भत्ता इसलिए दिया जाता है कि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारियों को अपना जीवन-यापन करने में कोई परेशानी न हो. आमतौर पर हर 6 महीने, जनवरी और जुलाई में Dearness Allowance में बदलाव किया जाता है.

अलग-अलग होता है DA

महंगाई भत्ता कर्मचारियों के वेतन के आधार पर दिया जाता है. शहरी, अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों में नौकरी करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता अलग-अलग होता है. 

छठे वेतन आयोग में महंगाई भत्ता 1 जनवरी, 2018 को 139 फीसदी से बढ़ाकर 142 फीसदी किया गया था. 

 

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डियरनेस अलाउंस की गणना मूल सैलरी पर होती है. महंगाई भत्ते की गणना के लिए एक फार्मूला तय किया गया है, जोकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index या CPI) से तय होता है. 

ये फॉर्म्यूला है-

महंगाई भत्ते का फीसदी = पिछले 12 महीने का CPI का औसत-115.76. अब जितना आएगा उसे 115.76 से भाग दिया जाएगा. जो अंक आएगा, उसे 100 से गुणा कर दिया जाएगा.