केंद्रीय कैबिनेट ने (Cabinet Meeting) बुधवार को कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट कराने के लिए 'राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी' (National Recruitment Agency) की स्थापना की घोषणा की. सरकार का दावा है कि इस एजेंसी से जहां कैंडिडेट्स के सिर से तमाम एग्जाम्स का बोझ कम होगा, वहीं एग्जाम सिस्टम का एक स्टैंडर्ड पैटर्न और कॉमन कोर्स होगा. साथ ही इससे रिक्रूटमेंट प्रोसेस बहुत आसान होगा और समय की बचत होगी.

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केंद्री मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि युवाओं को अपना करियर बनाने के लिए बहुत सारी परीक्षाएं देनी होती हैं. केंद्र में इस समय 20 से ज्यादा रिक्रूटमेंट एजेंसियां हैं. 

प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि अब इस व्यवस्था को खत्म करके एक 'राष्ट्रीय भर्ती संस्था' (National Recruitment Agency) की स्थापना की गई है. अब यह संस्था कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (Common Eligibility Test-CET) का आयोजन करेगी. 

उन्होंने बताया कि सरकार के इस फैसले का देश के करोड़ों छात्रों को लाभ मिलेगा. यह एजेंसी तमाम क्षेत्रों की नौकरियों के लिए एक ही परिक्षा का आयोजन करेगी. इससे युवाओं की मेहनत और पैसा, दोनों की बचत होगी.

फिलहाल क्या है दिक्कत

हर एजेंसी के हर एग्जाम का शड्यूल अलग-अलग होता था. इसके लिए एप्लीकेशन प्रोसेस और एप्लीकेशन फीस भी अलग-अलग होती है. जब दो-तीन एग्जाम आयोजित किए जाते हैं तो कई बार उनमें गड़बड़ी होने की संभावना भी बढ़ जाती है. 

अलग-अलग एग्जाम सेंटर होने से गांव-देहात के छात्रों, महिलाओं और दिव्यांगों को यात्रा करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दूर से आने वाले छात्रों का अन्य शहरों में रुकना पड़ता है.

कई बार एग्जाम की तारीखें आपस में मिल जाती हैं. ऐसे में उम्मीदवार के सामने दिक्कत होती है कि वे कौन से एग्जाम में बैठें या कौन सा छोड़ें.

ज्यादातर एग्जाम का स्तर तो वही होता है लेकिन, सभी की पढ़ाई अलग-अलग होती है. 

- केंद्र में 20 से ज्यादा रिक्रूटमेंट एजेंसियां हैं.

- फिलहाल 3 एजेंसी के एग्जाम को ही कॉमन किया जा रहा है. 

- आने वाले समय में सभी एजेंसी के कॉमन टेस्ट आयोजित किया जाएगा. 

- अभी तक एक ही एग्जाम कई चरणों में होता है. इससे एजेंसी पूरे साल व्यस्त रहती हैं.

- इस सिस्टम में एग्जाम को कोई एक स्टैंडर्ड नहीं बन पाता है. 

- इससे एग्जाम कहीं बहुत आसान तो कहीं बहुत टफ होता है.

- एग्जाम आयोजित करने के लिए स्थान बहुत ही सीमित संख्या हैं.

तीन एजेंसियों की एक एजेंसी

केंद्र सरकार की तीन रिक्रूटमेंट एजेंसियां (रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड -RRB, बैंक-IBPS और एसएससी-SSC) हर साल ग्रुप-बी या ग्रुप-सी में तकरीबन 1.25 वैकेंसी निकालती है. 2.5 से 3 करोड़ लोग इन वैकेंसी के एग्जाम में शामिल होते हैं. इन तीन एजेंसी के एग्जाम में उम्मीदवार पूरे साल व्यस्त रहता है.

अब इसमें एक स्तर कम हो जाएगा. अब तीनों एजेंसियों के लिए एक ही कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का आयोजन होगा. 

नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी

नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी एक सोसायटी होगी और यह पूरी तरह से स्वतंत्र संस्था होगी. इसमें तीनों रिक्रूटमेंट एजेंसी (एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस) के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इस एजेंसी पर पहले तीन साले के लिए 1517.57 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस सिस्टम से तीनों रिक्रूटमेंट एजेंसियों को हर साल 600 करोड़ रुपये की बचत होगी.

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यह एजेंसी पहले चरण का एग्जाम आयोजित करेगी. फर्स्ट लेवल के एग्जाम में सबसे ज्यादा लोग बैठते हैं. यह एग्जाम पूरी तरह से ऑनलाइन (कंप्यूटर बेस्ड) होगा. इसका रिजल्ट कैंडिडेट्स को तुरंत ही मिल जाएगा.

इस एग्जाम के स्कोर के आधार कैंडिडेट तीनों में किसी भी एजेंसी में अप्लाई करके उसके अगले चरण के एग्जाम में बैठ सकेगा. 

क्या होगा फायदा

- सभी एजेंसी के कॉमन एग्जाम का एक स्टैंडर्ड पैटर्न होगा.

- फर्स्ट लेवल के एग्जाम का एक ही सिलेबस होगा. 

- हर जिले में कम से कम एक एग्जामिनेशन सेंटर होगा. 

- एग्जाम का रिजल्ट तुरंत मिल जाएगा.

- यह रिजल्ट तीन साल तक मान्य रहेगा.

- एग्जाम स्कोर को सुधारने के लिए फिर से एग्जाम की सुविधा.

- इस एग्जाम के लिए कॉमन रजिस्ट्रेशन पोर्टल होगा. 

- एक क्वेश्चन बैंक होगा और एक ही फीस पैटर्न होगा.

- पहले चरण का एग्जाम कई भाषाओं में होगा. 

- इसमें 12 भाषाओं को शामिल किया जाएगा.

- अलग-अलग हिस्सों के उम्मीदवारों को एग्जाम में भाषाई दिक्कत नहीं होगी.

- 24 घंटे चलने वाली एक हेल्पलाइन होगी. कैंडिडेट अपनी समस्याओं को रख सकते हैं.