Government Jobs: सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे करोड़ों युवाओं के लिए अच्छी खबर है. अब वो SSC MTS की परीक्षा हिंदी अंगेजी के अलावा अपनी मातृभाषा में भी दे सकते हैं. दरअसल, केंद्र सरकार संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी भाषाओं को शामिल करने के प्रयास में निरंतर लगी हुई है. इसी क्रम में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने कर्मचारी चयन आयोग मल्टीटास्किंग स्टाफ (SSC MTS) परीक्षा और CHSLE परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित करने को मंजूरी दी है. इस निर्णय के बाद छात्र अब हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा दे सकेंगे. 

13 क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार होगा प्रश्नपत्र 

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प्रश्न पत्र हिंदी और अंग्रेजी के अलावा असमिया, बंगाली, गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, उड़िया, उर्दू, पंजाबी, मणिपुरी और कोंकणी में तैयार किया जाएगा. इस निर्णय के परिणामस्वरूप लाखों उम्मीदवार अपनी मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषा में परीक्षा में भाग लेंगे और उनकी चयन संभावनाओं में सुधार होगा. साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं को समझने वाले युवा उम्मीदवारों के चयनित होने की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी और इससे देश की सेवा में करियर बनाने के लिए बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी में भी वृद्धि देखने को मिलेगी.

 

क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध

केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह पीएम मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है. इससे सुनिश्चित होगा कि सभी को नौकरी के लिए आवेदन करने का समान अवसर मिले और भाषा की बाध्यता के कारण कोई भी युवा अवसर पाने से वंचित न हो या वह असुविधा में न रहे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला उन परीक्षाओं के लिए कई राज्यों, विशेष रूप से दक्षिण भारत से आने वाले उम्मीदवारों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगा, जो पहले अंग्रेजी और हिंदी में आयोजित की जाती थीं.

CAPFs की परीक्षा भी क्षेत्रीय भाषा में 

वहीं हाल ही में केंद्र सरकार ने CAPFs के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में कांस्टेबल परीक्षा आयोजित करने को मंजूरी दी थी. जाहिर है इस तरह के कदम से  क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा मिलेगा और छात्र, छात्राओं की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी. पीएम मोदी ने भी स्थानीय भाषाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा था कि शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा पर जोर देने से गरीब, ग्रामीण और आदिवासी पृष्ठभूमि के छात्रों में आत्मविश्वास पैदा होगा.

(रिपोर्ट - पीबीएनएस)

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