केंद्रीय विद्युत् मंत्रालय (Union Ministry of Power) ने आत्मनिर्भर भारत अभियान (Self-reliant india campaign) के तहत राज्यों  और केंद्रशासित प्रदेशों को 90,000 करोड़ रुपये के पैकेज देने का ऐलान किया है. ये पैसा दो चरणों में जारी किया जाएगा.  हर चरण में 45,000 करोड़ रुपये की किस्त दी जाएगी. सरकार ने केंद्रीय बिजली उत्पादन कंपनियों (Central power generation companies)और केंद्रीय बिजली वितरण कंपनियों को लॉकडाउन (Lockdown) अवधि के दौरान डिस्कॉम (Discom) को आपूर्ति की गयी बिजली पर 20-25% की छूट देने पर विचार करने को को कहा है. वहीं सरकार ने कहा है कि इस छूट से डिस्कॉम की जो लागत घटेगी इसका फायदा उपभोक्ताओं को भी मिले इसे सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है.  

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इन कंपनियों के जरिए दिया जाएगा पैकेज 

केंद्रीय विद्युत् मंत्रालय ने वित्तीय संकट झेल रही डिस्कॉम कंपनियों की सहायता के लिए 90,000 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज (financial package) देने के सम्बन्ध में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखा है. केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने इस मौके पर कहा,  मुश्किल समय में बिजली क्षेत्र के लिए घोषित किए गए इस पैकेज से डिस्कॉम के बोझ में काफी कमी आएगी. " भारत सरकार ने आत्मनिर्भर अभियान के तहत 13.5.2020 को पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (REC) के माध्यम से 90,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिए जाने का फैसला लिया गया था. आरईसी और पीएफसी डिस्कॉम कंपनियों को 10 वर्ष तक के लिए  विशेष कर्ज देंगे.  

डिस्कॉम कंपनियों को मिलेगी छूट 

सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्य डिस्कॉम कंपनियों के लिए भारत सरकार को सीमा में छूट के लिए अनुरोध कर सकते हैं, जिनके पास राज्य सरकार से मिलने वाली प्राप्तियाँ नहीं हैं और “उदय” के तहत कार्यशील पूंजी सीमाओं का भी विकल्प नहीं है.  

 

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लॉकडाउन के चलते कंपनियों पर पड़ा है असर 

केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि कोविड  -19 महामारी और लॉकडाउन के कारण बिजली क्षेत्र की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इसके चलते बिजली क्षेत्र में नगदी का संकट पैदा हो गया है.  ऐसे में इस पैकेज से बिजली क्षेत्र को काफी मदद मिलेगी.  यह धनराशि  डिस्कॉम को उन अधिकांश धनराशि  को चुकाने में मदद करेगी, जो उनपर बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों का बकाया है.