Wholesale price index-based inflation rate: कच्चे तेल और धातु की बढ़ती कीमतों के चलते थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (Wholesale price index-based Inflation) मार्च में आठ साल के उच्चतम स्तर 7.39 प्रतिशत पर पहुंच गई. पिछले साल मार्च में मुद्रास्फीति (Inflation) का निम्न आधार होने के चलते भी मार्च 2021 में मार्च माह की महंगाई ऊंची रही है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, पिछले साल कोविड-19 (Covid-19) महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के चलते कीमतें कम थीं.

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लगातार तीसरे महीने बढ़ोतरी (Third consecutive month increase)

खबर के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति एक महीना पहले फरवरी में 4.17 प्रतिशत और एक साल पहले मार्च में 0.42 प्रतिशत पर रही थी. डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति (WPI inflation) में लगातार तीसरे महीने बढ़ोतरी हुई है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा कि मुद्रास्फीति की वार्षिक दर मार्च 2020 के मुकाबले मार्च 2021 में 7.39 प्रतिशत (अनंतिम) रही.

इससे पहले अक्टूबर 2012 में था ऐसा लेवल (Earlier this level was in October 2012)

डब्ल्यूपीआई का इतना हाई लेवल इससे पहले अक्टूबर 2012 में रहा था, जब मुद्रास्फीति 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. मार्च में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 3.24 प्रतिशत रही और इस दौरान दाल, फल तथा धान की कीमतों में कमी आई है. पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण मार्च में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति 10.25 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 0.58 प्रतिशत थी.

एक्सपर्ट क्या मानते हैं (What do the experts believe)

वहीं खुदरा मुद्रास्फीति की अगर बात की जाए तो इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के उच्च स्तर 5.52 प्रतिशत पर पहुंच गई. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि थोक महंगाई में बढ़ोतरी धातु, वस्त्र, रसायन, रबर आदि से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के टीकाकरण से दुनिया भर में आशावाद बढ़ा है, जिसके चलते प्रमुख जिंसों की कीमतें बढ़ रही हैं.

रुपये में गिरावट का असर भी महंगाई के रूप में दिखेगा (The impact of the fall in rupee will also be seen in the form of inflation)

खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि हालांकि, मार्च 2021 में कच्चे तेल की कीमतों में ऊपरी स्तर से गिरावट देखने को मिली, लेकिन इस कारण अप्रैल 2021 में भी मुद्रास्फीति के बढ़ने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा रुपये में गिरावट का असर भी महंगाई के रूप में देखने को मिलेगा. इक्रा को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति अगले दो महीनों तक बढ़ेगी और अपने चरम पर प्रमुख मुद्रास्फीति 11-11.5 प्रतिशत और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 8-8.5 प्रतिशत पर रह सकती है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंडरा) के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि उच्च थोक मुद्रास्फीति का असर एक समय के बाद खुदरा मुद्रास्फीति पर देखने को मिलता है और इससे केंद्रीय बैंक का काम मुश्किल हो जाता है. हालांकि, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च को उम्मीद है कि नीतिगत दरें निम्न स्तर पर ही रहेंगी.

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