Tata Motors Singur Plant Dispute History, Timeline: टाटा मोटर्स को सिंगूर प्लांट विवाद में 17 साल बाद बड़ी राहत मिली है. ऑटो कंपनी के मुताबिक मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम को सिंगूर में कंपनी के मैन्यूफैक्चरिंग साइट पर हुए नुकसान के लिए मुआवजा देने के लिए कहा है. आदेश के मुताबिक निगम को टाटा मोटर्स को 766 करोड़ रुपए देने होंगे. गौरतलब है कि टाटा मोटर्स और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच इस विवाद की शुरुआत साल 2006 में हुई थी. उस वक्त टाटा नैनो का प्लांट सिंगूर में लगने वाला था. भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मौजूदा सीएम ममता बनर्जी ने इसके खिलाफ भूख हड़ताल की थी. विवाद के बाद टाटा मोटर्स ने गुजरात के साणंद में इसे शिफ्ट किया था. हालांकि, तब तक टाटा मोटर्स इस प्लांट पर 100 करोड़ रुपए का निवेश कर चुकी थी. जानिए इस पूरे विवाद का इतिहास और टाइमलाइन.   

Tata Motors Singur Plant Dispute History, Timeline: वाम मोर्चे को मिला था प्रचंड बहुमत, 997 एकड़ भमि का होना था अधिग्रहण 

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साल 2006 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चे को प्रचंड बहुमत मिला था. टाटा मोटर्स अपनी नैनो कार के प्रोडक्शन प्लांट के लिए जमीन की तलाश कर रहे थे. तत्कालीन पश्चिम बंगाल सरकार ने टाटा मोटर्स को कारखाना लगाने के लिए 997 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने का फैसला किया. ये जीमन सिंगूर में थी, जो राजधानी कोलकाता से 90 मिनट ड्राइव की दूरी में थी. साथ ही खड़गपुर के भी काफी पास थी, जहां पर आईआईटी जैसा संस्थान था. हल्दिया पोर्ट सिंगूर से 100 किमी दूर था.  हालांकि, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अनुमान से कही ज्यादा जटिल थी. 

Tata Motors Singur Plant Dispute History, Timeline: हिंसक हो गया था विवाद, पुलिस ने दागे आंसू के गोले

भूमि अधिग्रहण मामले में जमीन के मालिकों और सरकार के वर्ताकारों के बीच संघर्ष शुरू हो गया. साल 2007 के मई महीने तक इस विवाद ने काफी तूल पकड़ लिया और हिंसा भड़क गई थी. पश्चिम बंगाल की तत्कालीन विपक्षी पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कृषि भूमि बचाव आंदोलन की शुरुआत की थी. कई पर्यावरणविदों ने भी इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था. मई में प्लांट साइट के पास हिंसा भड़क गई थी. पुलिस ने रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे. आंदोलनकारियों ने भी ईंट-पत्थर से पुलिस कर्मियों पर हमला किया. 

Tata Motors Singur Plant Dispute History, Timeline: ममता बनर्जी ने की थी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

पश्चिम बंगाल की मौजूदा सीएम ममता बनर्जी ने टाटा नैनो प्लांट के विरोध में कई मार्च निकाले. इसके अलावा उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी. विवादों के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. इसके बाद टाटा समूह दूसरी जगह इस प्लांट को शिफ्ट करना चाहता था. गुजरात के साणंद में टाटा को भूमि मिली और साल 2008 में इस प्लांट को वहां शिफ्ट किया गया.

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साल 2011 में जब ममता बनर्जी पहली बार सीएम बनी तो उन्होंने सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास विधेयक को पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित किया. इस विधेयक के जरिए  400 एकड़ कृषि भूमि किसान को वापस दी गई थी.