लौह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल की प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के तौर पर पूरी दुनिया को आश्चर्य चकित कर रही है. लेकिन इस प्रतिमा में लौह पुरुष सरदार जैसी खूबियां भी हैं. इस प्रतिमा को सतपुड़ा और विंध्याचल की पहाड़ियों की चमकदार बेसाल्ट चट्टानें लोहे जैसी मजबूती प्रदान कर रही हैं. यह प्रतिमा इन चट्टानों के सहारे ही मजबूती से खड़ी है. स्टैचू ऑफ यूनिटी नर्मदा बांध से करीब 3.5 किलोमीटर दूर साधु बेट नाम के एक नदी द्वीप में है. इस प्रतिमा को बनाने वाली इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कंपनी के के अनुसार इस प्रतिमा का आधार बेहद मजबूत है. इस प्रतिमा को स्टील फ्रेमिंग, प्रबलित सीमेंट कंक्रीट और कांस्य क्लैडिंग से बनाया गया है. इस मूर्ति को बनाने के लिए 75000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट, 5700 मीट्रिक टन स्टील स्ट्रक्चर, 18500 टन प्रबलित स्टील रॉड और 22500 टन कांसे की चादर का इस्तेमाल किया गया है.

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द्वीप को नदी के तट से जोड़ा गया है

आम लोग आसानी से स्टैच्यू आफ यूनिटी के करीब पहुंच सकें इसके लिए साधु बेट द्वीप को 250 मीटर लंबा एक पुल बना कर जोड़ा गया है. इस स्टैचू को राम वी. सुतार ने डिजाइन किया है. इस स्टैचू का गलियारा नदी की सतह से करीब 500 फिट ऊपर है और यहां एक साथ करीब 200 लोग आराम से आ सकते हैं. यहां से सतपुड़ा और विंध्याचल की पहाड़ियों और 212 किलोमीटर लंबे सरदार सरोवर जलाशय को देखा जा सकता है.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने दुनिया को चौंकाया

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पूरी दुनिया में इंजीनियरिंग का अनोखा नमूना बन चुकी है. देश की जानामानी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लार्सन एंड टर्बो ने यह दावा किया है कि गुजरात में नर्मदा नदी के करीब बनी सरदार बल्लभभाई पटेल की प्रतिमा दुनिया में सबसे बड़ी प्रतिमा होने के साथ ही इसे सबसे कम समय में बनाया गया है. कंपनी के अनुसार यह प्रतिमा इंजीनियनिंग का बेहतरीन नमूना है. कंपनी के अनुसार इस 182 मीटर की प्रतिमा को मात्र 33 महीनों में पूरा कर लिया गया. जबकि चीन में स्प्रिंग टैंपल में बनी बुद्ध की 128 मीटर की प्रतिमा को बनाने में 11 साल लगाए थे . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में कहा कि यह प्रतिमा 31 अक्टूबर को राष्ट्र को समर्पित कर दी जाएगी. 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर उनकी प्रतिमा के अनावरण का किया जाएगा. दुनिया की सबसे ऊंची इस प्रतिमा को स्टैचू ऑफ यूनिटी नाम दिया गया है और इस पर अभी तक कुल 2300 करोड़ रुपये की लागत आ चुकी है. हालांकि लागत बढ़कर 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है.