विश्व बैंक के अनुसार भारत समेत समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र ने अति गरीबों की संख्या में कमी लाने के मामले में शेष विश्व की तुलना में उल्लेखनीय प्रगति की है. हालांकि, अभी भी आम गरीबों की बेहतरी के लिए इस क्षेत्र में काफी कुछ किये जाने की जरूरत है. दक्षिण एशिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत है और भारत में तेज आर्थिक वृद्धि और कल्याणकारी योजनाओं के चलते अति गरीबों की संख्या में भारी गिरावट आई है.

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विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री डीन जोलिफ ने ‘गरीबी एवं साझा समृद्धि 2018: गरीबी की गुत्थी को सुलझाना’ रिपोर्ट को पेश किये जाने से पहले बुधवार को कहा कि 1990 से 2015 के बीच विश्व में अति गरीबी में 25 प्रतिशत कमी आई है जबकि दक्षिण एशिया में इनकी संख्या 35 प्रतिशत कम हुई है. यह रिपोर्ट 17 अक्तूबर को जारी होगी. विश्व बैंक के प्रारंभिक पूर्वानुमान के अनुसार 2018 में भयानक गरीबी कम होकर 8.6 प्रतिशत पर आ गई है.

जारी रहेगी गरीबी में कमी 

उन्होंने कहा, 'यदि हम इस अवधि के दौरान दक्षिण एशिया को देखें तो क्षेत्र में अति गरीबी की दर 1990 में 47 प्रतिशत से कुछ अधिक थी जो 2015 में 12 प्रतिशत के आस-पास रह गयी. इस दौरान दक्षिण एशिया में अत्यधिक गरीबी के दायरे में आने वालों में 35 प्रतिशत कमी आई है.' विश्वबैंक के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर अति गरीबों की संख्या 2013 के 11 प्रतिशत की तुलना में कम होकर 2015 में 10 प्रतिशत रह गई. इससे पता चलता है कि प्रक्रिया की गति धीमी हुई है.

उन्होंने कहा, 'दक्षिण एशिया में अति गरीबी की स्थिति में कमी उल्लेखनीय प्रगति हुई है. इसमें यह कमी शेष विश्व की तुलना में काफी तेज है.' जोलिफ ने कहा, 'हमारे पूर्वानुमान के अनुसार 2030 में 85 प्रतिशत से अधिक अति गरीब उप-सहाराई अफ्रीका क्षेत्र में होंगे. इससे पता चलता है कि तब दक्षिण एशिया में अति गरीब लोग काफी कम रह जाएंगे.' उन्होंने कहा कि अति गरीबों की संख्या में दक्षिण एशिया में गिरावट जारी रहेगी और ये जल्दी ही एक अंकीय रह जाएंगे.

(एजेंसी इनपुट के साथ)