Akshaya Tritiya 2021: 14 मई को यानि कल अक्षय तृतीया है. हिंदू शास्त्रों के मुताबिक अक्षय तृतीया साल के सबसे शुभ दिनों में से एक है. संस्कृत में, अक्षय का अर्थ शाश्वत है और तृतीया का अर्थ शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन या पूर्णिमा के चरण से है. अक्षय तृतीयालो को देश के कुछ हिस्सों में अखा तीज (Akha Teej) के रूप में जाना जाता है. यह चार तीथ या समय का है जब किसी को किसी विशेष कार्य या पूजा के लिए मुहूर्त या शुभ मुहूर्त देखने की जरूरी नहीं होती है. पूरे दिन में कभी भी पवित्र माना जाता है.

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अक्षय तृतीया: जानिए 5 पारंपरिक अनुष्ठान (Traditional Rituals)

अक्षत तैयार करना: अक्षय तृतीया पर व्रत का पालन करने वाले लोग अक्षत तैयार करते हैं. अखंड चावल के दानों को हल्दी या कुमकुम के साथ चटाया जाता है/ इस दिन भगवान विष्णु को अक्षत चढ़ाया जाता है. यह परिवार के लिए सौभाग्य लाने के लिए माना जाता है.

दान: अक्षय तृतीया पर, दान या दान कार्य पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. लोग वंचितों को खाद्यान्न, कपड़े, गुड़ और अन्य सामान वितरित करते हैं. शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया पर दान कार्य पूरे वर्ष के लिए असीमित सौभाग्य लाता है.

सोना खरीदना: परंपरागत रूप से, दिवाली से पहले धनतेरस की तरह अक्षय तृतीया पर, लोग समृद्धि के लिए सोना खरीदते हैं. चूंकि अक्षय का अर्थ शाश्वत होता है, इसलिए लोग अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने के लिए सोना और चांदी खरीदते हैं. लोग कार या महंगे घरेलू इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने के लिए भी दिन सुरक्षित रखते हैं.

पूजा, जप और यज्ञ: शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु, गणेश या गृह देवता को समर्पित प्रार्थनाओं का जाप करने से 'शाश्वत' सौभाग्य प्राप्त होता है. लोग पितृ तर्पण भी करते हैं या अक्षय तृतीया पर अपने पुरखों को सम्मान देते हैं.

अक्षय तृतीया नैवेद्यम थाली: यह विशेष खाद्य पदार्थों को संदर्भित करता है, जो शुभ दिन पर तैयार किए जाते हैं और देवताओं को अर्पित किए जाते हैं. नैवेद्यम थेली या प्लेट पर वस्तुएं अलग-अलग होती हैं, लेकिन दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे खीर, घी, दही और मिठाइयाँ बहुत आवश्यक हैं. चावल और नारियल से तैयार वस्तुएं नैवेद्यम में भी शामिल हैं.

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