पुराने चावल (Rice) में घालमेल करना अब आसान नहीं हो सकेगा. इसको रोकने के मकसद से अब एक खास कवायद की गई है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लाभार्थियों को दिए जाने वाले चावल अब किसी भी तरह से वापस सरकारी एजेंसियों के गोदामों तक नहीं पहुंच सकेंगे, क्योंकि भारतीय खाद्य निगम (FCI) की तरफ से चावल की जांच की जाएगी. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इस जांच के बाद पुराने चावल का वापस पीडीएस में आने संभावना खत्म हो जाएगी.

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चावल की जांच की जाएगी (Rice will be tested)

खबर के मुताबिक, सरकारी एजेंसी (Food Corporation of India) चालू सीजन में किसानों से जो धान खरीदती है उसे चावल मिलों को देती है और मिले धान से चावल बनाकर वापस एजेंसी को देती हैं. अधिकारी बताते हैं कि इस प्रक्रिया में मिलों द्वारा पुराने चावल की सप्लाई की संभावना बनी रहती है. इसलिए एफसीआई की तरफ से अब मिलों से चावल हासिल करने से पहले उसकी जांच की जाएगी कि प्राप्त चावल नया है या पुराना. 

आंध्र प्रदेश में जांच सफल  (Investigation successful in Andhra Pradesh)

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय  (Union Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) के तहत आने वाले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि आंध्र प्रदेश में चावल की जांच की प्रक्रिया शुरू की गई थी जो सफल रही है और अब पूरे देश में इसे अमल में लाने की कोशिश जारी है. एफसीआई द्वारा इस दिशा में काम चल रहा है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत पीडीएस के लाभार्थियों को काफी सस्ते दाम पर पांच किलो अनाज हर महीने प्रत्येक राशन कार्डधारक को मुहैया करवाया जाता है, जिसमें चावल महज तीन रुपये प्रति किलो और गेहूं दो रुपये प्रति किलो की दर पर दिया जाता है. 

चावल में होती है ये हेराफेरी (This rigging occurs in rice)

बाजार सूत्र बताते हैं कि पीडीएस के लाभार्थियों को मिला अनाज का कुछ हिस्सा बाजार पहुंच जाता है. ऐसे में बाजार से चावल के मिलों के पास और वापस सरकारी एजेंसियों के गोदामों में पहुंचने की संभावना बनी रहती है. मगर, जब सरकारी एजेंसी जांच करने के बाद ही चावल मिलों से प्राप्त करेगा तो फिर इस घालमेल की गुंजाइश नहीं रहेगी.

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