हेपेटाइटिस सी' वायरस की खोज के लिए साल 2020 का चिकित्सा क्षेत्र का नोबल पुरस्कार हार्वे जे अल्टर, माइकल ह्यूटन और चार्ल्स एम राइस को दिया गया है. नोबेल पुरस्कार समिति ने ट्विटर कर कहा है कि हेपेटाइटिस से हर साल दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग लिवर सिरोसिस और liver cancer जैसी बीमारियों से जूझते हैं. इसके खिलाफ लड़ाई में इन तीनों वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है.नोबल पुरस्कार चिकित्सा के अलावा शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाता है.

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नोबेल पुरस्कार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा गया, 'इतिहास में पहली बार अब हेपेटाइटिस सी वायरस का इलाज संभव है. दि 2020 मेडिसिन लॉरेट्स की खोजें क्रोनिक हेपेटाइटिस के बाकी मामलों का कारण सामने लाईं और रक्त परीक्षण और नई दवाओं का निर्माण संभव किया, जिससे लाखों लोगों की जान बची. अभी तक हेपेटाइटिस सी वायरस की पहचान करना वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई थी.

 

नोबल पुरस्कार नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड बनार्ड नोबेल की याद में दिया जाता है. अल्फ्रेड बनार्ड नोबेल ने अपनी मृत्यु से पहले अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट के लिए सुरक्षित रख दिया था. उनकी इच्छा थी कि इन पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए तो मानव जाति के लिए बेहतरीन काम करते हैं.

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अल्फ्रेड बनार्ड नोबेल की राशि स्वीडिश बैंक में जमा है और इस पर जो ब्याज बनता है उससे हर साल नोबेल फाउंडेशन नोबेल प्राइज देता है. पहला नोबेल शांति पुरस्कार 1901 में शांति के लिए दिया गया था. नोबल पुरस्कार के विजेता को प्रशस्ति पत्र के साथ 10 लाख डॉलर की राशि प्रदान की जाती है.