स्वास्थ्य और चिकित्सा (Health & Treatment) सेवाओं के मामले में यूपी, बिहार, उत्तराखंड और ओडीशा सबसे ज्‍यादा फिसड्डी साबित हुए हैं. यह खुलासा नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में हुआ है. इसके विपरीत हरियाणा, राजस्थान और झारखंड में हालात उल्लेखनीय रूप से सुधरा है. नीति आयोग की रिपोर्ट को 3 हिस्सों में बांटा गया है. पहला, बड़े राज्य–21, दूसरा, छोटे राज्य– 8 (पूर्वोत्तर राज्य) और तीसरा केंद्र शासित प्रदेश– 7.

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रिपोर्ट की खास बातें

नीति आयोग के हेल्‍थ इंडेक्‍स में 21 बड़े राज्यों को देखा गया है. 2015 से 2016 के बीच उत्तराखंड में शिशु मृत्यु दर बढ़ गई है. जबकि देश के बाकी हर राज्य में इस दर में सुधार हुआ है. प्रति 1 हजार पर पहले 28 मौत होती थी, अब 30 हो रहे है. केरल सबसे अच्छा कर रहा है. प्रति 1 हज़ार पर 12. ये लक्ष्य 2030 तक अचीव किया जाना था. ओडीशा और मध्य प्रदेश सबसे खराब कर रहे हैं. हालांकि इन्होनें भी सुधार दिखाया है लेकिन अभी भी यहां प्रति 1 हज़ार 32 मौतों की दर है. 2015 मे ये 35 थी.

5 साल से छोटे बच्‍चे की मृत्‍यु दर

> रिपोर्ट में बताया गया है कि केरल इस मामले में सबसे बेहतर है. यहां यह आंकड़ा 13 से घटकर 11 हुई अंडर 5 मृत्यु दर.

> पूरे देश में सुधार लेकिन उत्तराखंड (38 से बढ़कर 41) और छत्तीसगढ़ में (48 से 49) गिरावट आई है.

> असम और मध्यप्रदेश ने 7 से 10 अंकों का सुधार किया है. जबकि सुधार के औसत 4 है.

> केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और पंजाब ने पूरा किया लक्ष्य 25/1000

बिहार 21वें स्थान के साथ सबसे नीचे

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्वबैंक (World Bank) के तकनीकी सहयोग से तैयार नीति आयोग की ‘स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग से यह बात सामने आई है. इस रपट में इन्क्रीमेन्टल रैंकिंग यानी पिछली बार के मुकाबले सुधार के स्तर के मामले में 21 बड़े राज्यों की सूची में बिहार 21वें स्थान के साथ सबसे नीचे है. इसमें उत्तर प्रदेश 20वें, उत्तराखंड 19वें और ओडिशा 18वें स्थान पर हैं.

2018 में भी आई थी रैंकिंग

यह दूसरा मौका है जब आयोग ने स्वास्थ्य सूचकांक के आधार पर राज्यों की रैंकिंग की गयी है. इस तरह की पिछली रैंकिंग फरवरी 2018 में जारी की गयी थी. उसमें 2014-15 के आधार पर 2015-16 के आंकड़ों की तुलना की गयी थी. इस रिपोर्ट में पिछले बार के मुकाबले सुधार और कुल मिलाकर बेहतर प्रदर्शन के आधार पर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग तीन श्रेणी में की गयी है. पहली श्रेणी में 21 बड़े राज्यों, दूसरी श्रेणी में आठ छोटे राज्यों एवं तीसरी श्रेणी में केंद्र शासित प्रदेशों को रखा गया है.