Nirmala Sitharaman on crypto: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के रिस्क को कम करने के लिए ग्लोबल लेवल पर क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने की योजना का सुझाव दिया है. वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की चिंताओं को भी ग्लोबल कम्युनिटी को बताया.

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वाशिंगटन में आईएमएफ द्वारा आयोजित एक उच्च स्तरीय चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि जब तक क्रिप्टो परिसंपत्तियों की गैर-सरकारी गतिविधियां अनहोस्टेड वॉलेट के माध्यम से होंगी, उनका रेगुलेशन बहुत मुश्किल होगा. उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, सेंट्रल बैंक द्वारा संचालित डिजिटल करेंसी के जरिए से देशों के बीच सीमा पार से पेमेंट बहुत प्रभावी हो जाएगा.

रिस्क को अलग-अलग तरीके से देखना जरूरी 

उन्होंने कहा, "मुझे गैर-सरकारी डोमेन पर जो जोखिम अधिक चिंतित करता है, वह यह कि आप दुनिया भर में सीमाओं के पार बिना होस्ट किए गए वॉलेट देख रहे हैं... इसलिए, किसी एक देश द्वारा अपने क्षेत्र के भीतर प्रभावी तरीके से विनियमन नहीं किया जा सकता है, और सीमापार विनियमन करने के लिए प्रौद्योगिकी के पास ऐसा कोई समाधान नहीं है, जो विभिन्न संप्रभु सरकारों को एक ही समय में प्रत्येक क्षेत्र में लागू होने के लिए स्वीकार्य हो." 

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'मनी एट ए क्रॉसरोड: पब्लिक ऑर प्राइवेट डिजिटल मनी' सब्जेक्ट पर एक चर्चा के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि, इसमें शामिल जोखिमों को अलग-अलग तरीके से देखना होगा, क्योंकि प्रत्येक यूजर के लिए जोखिम भी अलग हो सकते हैं. सीतारमण ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि नाइजीरिया के लिए रेगुलेशन और जोखिम, एक पर्यटन या निवेश समृद्ध बहामास से अलग होगा.

उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का खतरा तब तक बना रहेगा, जब तक क्रिप्टोकरेंसी पर टेक्नोलॉजी को रेगुलेट करने और समझने के लिए एक वैश्विक दृष्टिकोण नहीं होगा. उन्होंने कहा, "बजट 2022-33 में हमने घोषणा की थी, कि इन क्रिप्टो संपत्तियों के लेनदेन से हुई आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया जाएगा. साथ ही प्रत्येक लेनदेन के लिए भी स्रोत पर एक प्रतिशत कर कटौती की जाएगी, जिससे इसके माध्यम से हम यह जान सकें कि इसकी खरीद-बिक्री कौन कर रहा है."