Chardham yatra: नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी है और राज्य सरकार को कोरोना प्रोटोकॉल के साथ यात्रा संचालित करने का निर्देश दिया है. यात्रा पर लगे प्रतिबंध हटाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या जैसे प्रतिबंधों के साथ ही यह यात्रा चलेगी. अदालत ने कहा कि दर्शन के लिए आने वाले  श्रद्धालुओं को कोविड-निगेटिव जांच रिपोर्ट या वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट लाना जरूरी होगा. वहीं मंदिरों में श्रद्धालुओं की दैनिक सीमा भी निर्धारित कर दी गई है.

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तय हुई श्रद्धालुओं की सीमा

उच्च न्यायालय ने कहा कि केदारनाथ में रोजाना अधिकतम 800, बदरीनाथ में 1200, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 श्रद्धालु ही दर्शन कर सकेंगे. इसके अलावा यात्रियों को मंदिरों के आसपास झरनों में नहाने की अनुमति नहीं होगी. अदालत ने कहा कि चमोली, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में यात्रा के दौरान जरुरत के हिसाब से पुलिस बल तैनात किया जाएगा. आपको बता दें कि चमोली में बदरीनाथ, रूद्रप्रयाग में केदारनाथ और उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर हैं. हाईकोर्ट का यह फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. इस यात्रा से लाखों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी होने के कारण राज्य सरकार पर इसे शुरू करने का काफी दवाब था.

कोरोना की वजह से लगी थी रोक

कोरोना की वजह से हाईकोर्ट ने 28 जून को कैबिनेट के सीमित स्तर पर चारधाम यात्रा शुरू करने के फैसले पर रोक लगा दी थी. कैबिनेट ने चमोली, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के निवासियों को मंदिर दर्शन की अनुमति देने का फैसला किया था. सरकार की योजना कोरोना के हालत सुधरने पर में चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से राज्य के बाहर ​के निवासियों के लिए भी शुरू करने की थी. हाईकोर्ट की इस रोक के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी. हालांकि, बाद में इसे वापस लेकर सरकार ने फिर यात्रा पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई.

चारधाम यात्रा है लोगों की आजीविका का साधन

अटॉर्नी जनरल एस. एन. बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता सी. एस. रावत ने सरकार की तरफ से अदालत में पेश होते हुए कहा कि स्थानीय लोगों की आजीविका बहाल करने के लिए यात्रा से प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए. बाबुलकर ने कहा कि यह चारधाम यात्रा से कमाने का सीजन है, अगर यह चला गया तो कई परिवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. उन्होंने यह भी दलील दी कि रोक लगाते समय उच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई चिंता का समाधान हो चुका है और स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है.

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