योगगुरू स्वामी रामदेव ने अपने नए वेंचर पतंजलि परिधान की लॉन्चिंग के मौके पर कहा कि गारमेंट सेग्मेंट में उनका प्रोजेक्ट तो बहुत बड़ा था, लेकिन बाद में उन्हें अपनी योजना बदलनी पड़ी. उल्लेखनीय है कि पतंजलि ने खादी ग्रामोद्योग आयोग को अधिग्रहित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष रखा था, जिस पर देश भर में खादी को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है.

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स्वामी रामदेव ने संवाददाताओं से कहा, 'हम खादी इंडिया को ही बढ़ा रहे हैं. खादी ग्रामोद्योग को भी हम जिंदा करना चाहते हैं और खादी को भी जिंदा करना चाहते हैं. वैसे तो हमने इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट बनाया था, लेकिन मोदी सरकार ने आलोचनाओं से डरकर उसे प्रारंभ नहीं किया.'

स्वामी रामदेव ने बताया, 'मोदी सरकार अगर पतंजलि के सहयोग से करती तो लोग ये आरोप लगाते कि बाबा जी को बढ़ाने के लिए मोदी जी ने खादी का काम भी पतंजलि को दे दिया.' उन्होंने कहा कि वो प्रोजेक्ट होता तो खादी को बहुत लाभ होता. 

समाचार पत्र इकनॉमिक टाइम्स ने 25 फरवरी 2015 को रिपोर्ट दी थी कि 'सरकार के खादी सेक्टर को अधिग्रहित करने के योग गुरू रामदेव का प्रस्ताव केंद्र ने विनम्रता के साथ खारिज कर दिया है... सरकार ने खुद खादी क्षेत्र को पुनर्जीवित करने का फैसला किया है, और इसके लिए बेहतरीन प्रणाली को लागू किया जाएगा.' स्वामी रामदेव ने 'खादी को संकट से उबारने और उसे नया जीवन देने का प्रस्ताव रखा था.' विपक्ष सहित कई लोगों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. प्रधानमंत्री मोदी खादी को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत स्तर से विशेष प्रयास करते हैं और उन्होंने देशवासियों से अपील की है कि साल में कम से कम एक बार खादी के कपड़े जरूर खरीदें.