लोकसभा चुनाव परिणामों से पहले देशभर में EVM और VVPAT को लेकर हल्ला मचा है. विपक्ष जोर-शोर से कम से कम 50 फीसदी वोट VVPAT से मिलाने की मांग कर रही है. हालांकि, चुनाव आयोग ने इस बार मतगणना में हर विधानसभा क्षेत्र के 5 बूथों के वोट का मिलान VVPAT से कराने को कहा है. लेकिन, VVPAT से वोटों का मिलान कैसे होता है और आखिरकार ये VVPAT बला क्या है? यह देश के हर नागरिक को जरूर जानना चाहिए. 

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क्या है VVPAT?

VVPAT का मतलब है वोटर वेरीफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल. आसान भाषा में कहें तो वोट डालने के बाद आपके वोट का वो प्रमाण जो आप खुद देख सकते हैं. मतदान के दौरान हर बूथ पर EVM से एक VVPAT को कनेक्ट किया जाता है. जब कोई मतदाता EVM पर अपने प्रत्याशी के नाम के सामने वाला बटन दबाते हैं तो VVPAT से में यह दर्ज होता है कि आपने किसे वोट दिया है. VVPAT में प्रत्याशी का नाम, चुनाव चिह्न और पार्टी का नाम दिखाई देता है. इसके बाद महज 7 सेकेंड के बाद VVPAT से एक पर्ची निकलती है, जिसमें यह पूरा ब्योरा छपा होता है. यह पर्ची छपकर एक सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है.

वोटों का कैसा होगा मिलान

लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र के 5 बूथ के EVM के वोट और VVPAT का मिलान होगा. EVM से जैसे ही वोटों की गिनती खत्म होगी, उसके बाद लॉटरी से उन बूथों का चयन किया जाएगा, जहां के EVM और VVPAT का मिलान करना है. इसके लिए अलग से VVPAT काउंटिंग बूथ बनाए गए हैं. काउंटिंग के दौरान अगर कोई EVM खराब होती है तो उसकी वोटों की गिनती VVPAT से की जाएगी. 

इन राज्यों में हो चुका है इस्तेमाल

इस मशीन के जरिए मतदाता को प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह और नाम उसकी ओर से चुनी गई भाषा में दिखाई देता. वीवीपीएटी का प्रयोग चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल, झारखंड के साथ कुछ अन्य राज्यों में कर चुका है. इससे मतदाता की जानकारी को प्रिंट करके मशीन में स्टोर कर लिया जाता है और विवाद की स्थिति में जानकारी को उपलब्ध कराकर समस्या को निपटा लिया जाता है.

2013 में डिजाइन की गई थी मशीन

चुनावों में धांधली को रोकने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने इस मशीन को 2013 में डिजाइन किया था. बीईएल ने साल 2016 में 33,500 वीवीरपैट मशीन बनाईं. इसका इस्तेमाल गोवा के चुनाव में 2017 में किया गया.