गुजरात का मोरबी इन दिनों अमरूद की खेती के लिए अलग ही पहचान कायम कर रहा है. यहां का अमरूद अपने आकार को लेकर चर्चा में है. मोरबी के टंकारा तालुका में स्थित जबलपुर गांव के किसान परंपरागत खेती छोड़कर अब जम्बो अमरूद की खेती कर रहे हैं.

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जम्बो अमरूद का वजन 300 ग्राम से लेकर सवा किलोग्राम तक है. जम्बो अमरूद न केवल साइज में बड़ा है बल्कि, खाने में भी जायकेदार है. 

गुजरात में कपास, मुंगफली, गेहूं, बाजरा सहित की तमाम तरह की खेती होती है. लेकिन किसानों को उनकी मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिल पाता है. लेकिन अब जबलपुर गांव के किसान खुश हैं. 

जम्बो अमरूद उगाने वाले किसान प्रभुभाई ने बताया कि उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर थाईलैंड के अमरूद को उगाने का निर्णय किया. प्रभुभाई छत्तीसगढ़ के रायपुर से थाईलैंड के अमरूद के बीज लेकर आए और अपने खेत में लगा दिए. उनके खेतों में आज अमरूद के 4700 पेड़ हैं. पर जम्बो अमरुद उग रहे है.

6 साल पहले प्रभुभाई ने अमरूद की खेती शुरू की तो शुरू के दो साल तक उन्होंने पौधों पर ध्यान दिया. तीन साल बाद पेड़ों पर अमरूद लदने लगे हैं. अब इन पेड़ों पर 300 ग्राम से लेकर सवा किलो तक के अमरूद फल रहे हैं. उनके अमरूदों की गुजरात के साथ गुजरात के बाहर भी खासी मांग है. 

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सेहत का खजाना है अमरूद

अमरुद की बागवानी भारत के सभी राज्यों में की जाती है. पैदावार, सहनशीलता तथा जलवायु के प्रति सहिष्णुता के साथ-साथ अमरूद विटामिन ‘सी’ की मात्रा को लेकर भी अन्य फलों से ज्याद महत्वपूर्ण है. अमरूद की खेती अधिक तापमान, गर्म हवा, वर्षा, लवणीय या कमजोर मृदा, कम जल या जल भराव की दशा से अधिक प्रभावित नहीं होती है. 

(रिपोर्ट- निर्मल त्रिवेदी/ नई दिल्ली)