भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख के. सिवन ने कहा है कि वे विक्रम लैंडर की लैंडिंग के लिए कार्य योजना पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम विक्रम लैंडर की लैंडिंग के लिए टेक्नोलॉजी प्रदर्शित करना चाहते हैं." उन्होंने कहा कि आने वाले भविष्य में हम एक बार फिर से विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेंगे. हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं. अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन हम यह काम जल्द पूरा करेंगे.  

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चंद्रयान 2 को बीते 7 सितंबर को इसरो चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं करा सका था. सिवन ने संकेत दिया कि चंद्रयान 2 अभी क्लोज नहीं हुआ है. इसरो इस पर लगातार काम कर रहा है.

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पेलोड ने ऑर्गन-40 की पहचान की

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा है कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर सवार चंद्रमा के वायुमंडलीय संरचना एक्सप्लोरर-2 (चेस-2) पेलोड ने ऑर्गन-40 का पता लगाया है. इसरो के अनुसार, चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे ऑर्बिटर ने ऑर्गन-40 का पता लगभग 100 किलोमीटर की ऊंचाई से लगाया है. इसरो ने कहा कि ऑर्गन-40, नोबल गैस ऑर्गन का एक आइसोटोप है. ऑर्गन गैस चंद्रमा के बाहरी मंडल का एक प्रमुख घटक है.

इसरो ने कहा कि प्लेनेटरी वैज्ञानिक चंद्रमा के चारों तरफ इस पतले गैसीय एनवेलप को 'लुनर एक्सोस्फीयर' कहते हैं. इसके बेहद सूक्ष्म होने के कारण गैस के परमाणु बेहद मुश्किल से एक दूसरे से टकराते हैं. इसरो के अनुसार, ऑर्गन-40, पोटैशियम-40 के रेडियोएक्टिव विघटन से पैदा होता है. रेडियोएक्टिव 40के न्यूक्लियाड, विघटित होकर ऑर्गन 40 बनता है. रेडियोएक्टिव 40के चंद्रमा की सतह के बेहद नीचे मौजूद होता है.

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भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चेस-2 पेलोड एक न्यूट्रल मॉस स्पेक्ट्रोमीटर-आधारित पेलोड है, जो 1-300 एएमयू (एटॉमिक मॉस यूनिट) की रेंज में लुनर न्यूट्रल एक्सोस्फीयर में घटकों का पता लगा सकता है.